महेन्द्र सिंह धोनी बल्लेबाजी करने इतना नीचे क्यों आ रहे, स्टीफन फ्लेमिंग ने कर दिया खुलासा

चेन्नई सुपरकिंग्स के लिए महेन्द्र सिंह धौनी कुछ रन बनाने में सफल जरूर हो रहे हैं, लेकिन उनके बनाये रन उनकी टीम के काम नहीं आ रहे हैं। मुम्बई इंडियन्स के खिलाफ वह खाता खोले बिना नाबाद लौटे थे, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ उन्होंने 30 रन बनाये, वहीं रविवार को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ उन्होंने 16 रन बनाये। राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ आखिरी ओवर में चेन्नई सुपर किंग्स को मैच जीतने के लिए 20 रनों की जरूरत थी। क्रीज पर रवीन्द्र जडेजा के साथ महेन्द्र सिंह धोनी मैदान पर थे। लेकिन धोनी ने पहले ही मैच में ‘आत्मसमर्पण’ कर दिया। मतलब वह संदीप वर्मा की गेंद को बाउंडी से बाहर नहीं कर सके और कैच आउट होकर लौट गये। बाद में चेन्नई इस ओवर में 12 रन ही बना सकी। इस तरह चेन्नई यह मैच 6 रनों से हार गयी।

टीम की हार-जीत तो अपनी जगह है। यहां चेन्नई की हार से ज्यादा चर्चा महेन्द्र सिंह धोनी की है। यह सवाल धोनी के फैंस बार-बार उठा रहे हैं कि उन्हें निचले क्रम पर क्यों उतारा जा रहा है। क्या धोनी निचले क्रम में भी खुद उतरना चाह रहे हैं या टीम मैनेजमेंट ऐसा चाह रहा है। यहां यह बता दें कि मुम्बई के खिलाफ धोनी 8वें क्रम पर बल्लेबाजी के लिए उतरे थे। वह जब मैदान पर उतरे टीम को जीतने के लिए 4 रनों की जरूरत थी। बेंगलुरू के खिलाफ उन्हें 9वें नम्बर पर भेजा गया था। यहां धोनी जब मैदान पर आये थे तब टीम को 98 रनों की जरूरत थी और साथ में 3 विकेट बचे थे। रविवार को राजस्थान के खिलाफ वह 7वें नम्बर पर आये थे। धोनी जब मैदान पर उतरे तब टीम को 56 रनों की दरकार थी।

धोनी के बल्लेबाजी क्रम को लेकर सवाल तो तैर ही रहे हैं। क्रिकेट के कई दिग्गज इस सवाल पर चर्चा भी कर चुके हैं। तीसरे मैच में जब चेन्नई की दूसरी हार हो गयी है तब टीम के हेड कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने इस पर अपना मुंह खोला है। स्टीफन फ्लेमिंग ने यह स्वीकार किया कि धोनी रन बना रहे हैं और उनकी बल्लेबाजी देखकर लग रहा है कि उनमें अब भी उनमें काफी दमखम है। फैंस और एक्सपर्ट्स का भी यही कहना है कि उन्हें ऊपर बल्लेबाजी करने के लिए आना चाहिए।

मगर, इसके बाद उन्होंने जो बात कही, वह ज्यादा महत्वपूर्ण है। स्टीफन फ्लेमिंग ने कहा- अब एमएस धोनी के बॉडी और घुटने पहले जैसे नहीं रहे। उनमें मूवमेंट तो है, लेकिन उन्हें दिक्कत भी हो रही है। वह 10 ओवर तक बैटिंग नहीं कर सकते, जिसमें काफी दौड़ लगानी पड़े, इसलिए यह उन पर यह छोड़ दिया गया है कि वह मैच के हिसाब से खुद तय करें कि उन्हें क्या करना है। मैच थोड़ा बैलेंस हो तो वह थोड़ा जल्दी जा सकते हैं। ताकि जरूरत पड़ने पर दूसरे पार्टनर उन्हें मैदान पर सपोर्ट कर सकें। मगर वह कुल मिलाकर चीजों को बैलेंस कर रहे हैं।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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