राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया है। सीपी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan)को झारखंड का नया राज्यपाल(new governor of jharkhand) बनाया गया है। वहीं, झारखंड के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस (ramaesh bais mumbai governor)को महाराष्ट्र की जिम्मेवारी सौंपी गई है।छह जुलाई 2021 को रमेश बैस ने झारखंड के राज्यपाल का पदभार ग्रहण किया था। अब उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वहीं, नए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) तमिलनाडु के वरिष्ठ भाजपा नेता हैं। वे तमिलनाडु भाजपा के पार्टी अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने कोयंबटूर लोकसभा सीट से दो बार जीत भी हासिल की थी।
13 प्रदेशों में नए राज्यपालों की नियुक्ति को स्वीकृति
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने 13 प्रदेशों में नए राज्यपालों की नियुक्ति को स्वीकृति दी है। लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक को अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है। इसके अलावा लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम, शिव प्रताप शुक्ला को हिमाचल प्रदेश, गुलाब चंद कटारिया को असम, रिटायर्ड जस्टिस एस. अब्दुल नजीर को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है।
वहीं, बिस्वा भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़, अनुसुईया उइके को मणिपुर, एल. गणेशन को नगालैंड, फागू चौहान को मेघालय, राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर को बिहार, रमेश बैस को महाराष्ट्र की जिम्मेवारी सौंपी गई है। इसके अलावा, ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) बीडी मिश्रा को लद्दाख का उपराज्यपाल बनाया गया है।
तमिलनाडु के रहने वाले हैं
सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु के रहने वाले हैं। साधारण परिवार से आने वाले सीपी राधाकृष्णन 16 साल की उम्र से यानी 1973 से आरएसएस और जन संघ से संगठनों से जुड़े रहे। इसके बाद 1998 के कोयम्बटूर बम धमाकों के बाद 1998 और 1999 के आम चुनावों में उन्होंने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की। 2004 में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ अपने संबंधों को समाप्त करने के बाद गठबंधन बनाने पर काम किया।
दक्षिण के वरिष्ठ और सम्मानित नेताओं में से एक हैं
दक्षिण और तमिलनाडु से भाजपा के सबसे वरिष्ठ और सम्मानित नेताओं में से हैं। 2014 में कोयम्बटूर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए भाजपा का उम्मीदवार नामित किया गया और तमिलनाडु की दो बड़ी पार्टी डीएमके और एआईएडीएमके के गठबंधन के बिना, उन्होंने 3 लाख 89 हजार 000 से अधिक मतों के साथ दूसरा स्थान हासिल किया, जो तमिलों में सबसे अधिक था।
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