झारखंड के वर्तमान बजट सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर जारी है। सदन में जब भाजापा ने झारखंड के1 लाख 36 हजार करोड़ रुपयों के राजस्व के बकाये को लेकर राज्य सरकार से सवाल किया तब वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने उसका पलट कर जोरदार जवाब दिया।
भाजपा ने केंद्रांश की राशि 2019 के बाद से अधिक होने और इस मुद्दे पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। इस पर जवाब देते हुए वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सरकार का जवाब सदन में रखा। उन्होंने कहा कि अब इस पर गुरूवार से विभिन्न विभागों के अनुदान मांगों और कटौती प्रस्तावों पर चर्चा होगी।
उन्होंने कहा कि नीति आयोग के तहत केंद्रांश की राशि केवल झारखंड ही नहीं बल्कि सभी राज्यों को देना बाध्यता है। यह राशि झारखंड को भीख में नहीं मिली। केंद्र सरकार झारखंड के संसाधनों से सबसे अधिक आय अर्जित करती है। इसलिए केंद्रांश देना कोई भीख नहीं है. मगर बात यहां पर केंद्रांश की नहीं विभिन्न योजनाओं और खनन रॉयल्टी की है। सरकार ने केंद्र और राज्य के हिस्से मिलकर चलाने वाले योजनाओं में लगातार सौतेला व्यवहार कर रही है।
भाजपा के साथी पानी-पानी चिल्लाते रहते हैं, मगर नल जल योजना का राज्य के हिस्से का 6000 हजार करोड़ रखी हुई है, मगर केंद्र सरकार ने अपने हिस्से के 6 हजार करोड़ विगत फरवरी से नहीं दिया, क्योंकि यह योजना केंद्र और राज्य के 50:50 हिस्सेदारी के तहत संचालित है।
इसी तरह मनरेगा के पैसे दो हेड में मिलते हैं, एक हेड मैट्रियल होता है और दूसरा मजदूरी हेड, मगर सरकार छह महीने से दोनों हेड का पैसा नहीं दे रही है।
हमारी मंईयां योजना कोई रेवड़ी नहीं है। इससे हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, हां भारत सरकार की उज्ज्वला योजना रेवड़ी थी जिसके तहत 38,44,971 करोड़ एलपीजी गैस एवं चूल्हा बांटा गया। इसके बाद यह चूल्हा और एलपीजी का क्या हाल है, किसी से छिपा नहीं है। इसलिए इस योजना को रेवड़ी और चुनावी फंडा कहा जा सकता है।
रही बात सरकार विभागों की राशि मे कटौती की तो यह भी गलत है। किसी भी विभाग की राशि में कोई बड़ी कटौती नहीं की गयी है। जितने काम करने हैं, उसके तहत प्लानिंग करके राशि दी जा रही है। इसका मंईयां योजना से कोई लेना-देना नहीं है। ये लोग खुद को हाथी उड़ाने की योजना की तरीफ करते हैं, मगर सच्चाई जान लें। इसकी सच्चाई है कि जनता के पैसे का 100 करोड़ रुपये फूंक दिये गये। 210 एमओयू हुए जिसमें 131 कंपनी पहले ही पीछे हट गयी। 35 कंपनी बिजली, पानी मांगते-मांगते थक गयीं और वापस चली गयी। यानी की वास्तव में सफेद हाथी ही उड़ाया गया। सरकार लगातार 2019 से केंद्रीय सहायता देने में कटौती करते जा रही है। यह हम नहीं डाटा बोलता है. प्रधानमंत्री आवास में कितन अन्याय हुआ,यह भी किसी से छिपी नहीं है।
वित्त मंत्री ने कहा कि हमारे बजट को राज्य के सभी वर्ग यहां तक की चैंबर ऑफ कामर्स ने भी सराहा। इसके लिए मेरी सरकार उनका आभार प्रकट करती है. मगर इसके बाद भी भाजपा को हमारे बजट अच्छा नहीं लगा। आज जरूरी सुझाव दें, कोई त्रुटि है तो उसके सुधार का सुझाव दें। मगर उसे खारिज करना कहीं से स्वच्छ परंपरा नहीं है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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