वायनाड भूस्खलन देश की सबसे बड़ी बाढ़ आपदा बनने की ओर! केरल में ही हो चुकी हैं 483 मौतें

केरल के वायनाड की भयानक त्रासदी कहीं देश की सबसे बड़ी त्रासदी बनने की ओर तो अग्रसर नहीं है। वायनाड में अब तक 346 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि आश्चर्यजनक तरीके से हादसे के चार दिन बाद 4 लोगों को जिंदा भी बचाया गया है। एनडीआरएफ समेत सेना के जवान अब भी राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। लेकिन हादसे का शिकार होकर मरने वालों का आंकड़ा पल-पल जिस तरह से बदल रहा है, वह केरल की ही एक बड़ी आपदा की याद दिलाने लगा है।

16 अगस्त 2018 को मॉनसून की असामान्य भारी वर्षा के कारण केरल में भयंकर बाढ़ आयी थी। केरल में आयी यह बाढ़ सदी की सबसे भीषण बाढ़ थी जिसमें 483 लोग मारे गए और 15 लोगों का आज तक पता नहीं चला। लगभग दस लाख लोग इस आपदा से प्रभावित हुए थे। इस प्राकृतिक आपदा में चेंगन्नूर, पंडानाड, एडनाड, अरनमुला, कोझेनचेरी, अयिरूर, रन्नी, पंडालम, कुट्टनद, मलप्पुरम, अलुवा, चालाकुडी, त्रिशूर, तिरुवल्ला, एराविपेरूर, वल्लमकुलम, उत्तर परवूर, चेंदमंगलम, चेल्लनम, वाइपिन द्वीप और पलक्कड़ ज्यादा प्रभावित हुए थे। तब भारत सरकार ने इसे  स्तर 3 आपदा (गंभीर प्रकृति की आपदा) घोषित किया था। इससे पहले 1924 में भी केरल में भीषण बाढ़ आयी थी, जिसमें काफी धन-जन की हानि हुई थी।

केरल के वायनाड की यह आपदा भी कम भयावह नहीं है। 346 लोगों की मौत ही इसका भयावहता की कहानी कह रही है। यह प्राकृतिक आपदा कितनी भयावह है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इससे ने सिर्फ चार गांव पूरी तरह से बर्बाद हो गये, बल्कि प्रभावित इलाकों की भौगोलिक संरचना ही बदल कर रख दी है। इन इलाकों को देख कर कोई यह नहीं कह सकता कि यह इलाका कभी आबाद भी था।

यहां एक बात बताना भी आवश्यक है कि इस आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता था। कम से कम लोगों की जान की सुरक्षा की जा सकती थी, लेकिन शायद इसकी अनदेखी की गयी। वैसे तो केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह संसद में कह चुके हैं कि केरल सरकार को इसके लिए पहले ही आगाह किया गया था। लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तो पिछले साल ही ऐसी आपदा के लिए आगाह कर चुका था। इसरो ने पूरे देश के 147 जिलों को प्राकृतिक आपदा और भूस्खलन के लिहाज से खतरनाक घोषित किया था। इनमें उत्तराखंड के कई जिलों के साथ केरल के सभी 14 जिलों को इसरो ने खतरनाक करार दिया था। वायनाड जहां यह आपदा आयी थी, वह 14 जिलों में 13वें नम्बर की आपदा की श्रेणी में था। तो इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि केरल के हर जिले किसी खतरनाक आपदा का इन्तजार कर रहे हैं।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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