झारखंड की राजधानी रांची में भारत के निर्वाचन आयोग की टीम आयी हुई है। टीम में मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEC) राजीव कुमार भी है। टीम झारखंड में राज्य के शीर्ष अधिकारियों और नेताओं के साथ मुलाकात कर यह जानने का प्रयास कर रही है कि राज्य में चुनावी और सुरक्षा हालात कैसे हैं। इसका आकलन करने के बाद निर्वाचन आयोग यह तय करेगा कि झारखंड में कब और कितने चरणों में मतदान कराये जाने चाहिए। सोमवार को टीम ने झारखंड की विभिन्न पार्टियों के साथ मुलाकात की, इस मुलाकात में विभिन्न पार्टियों ने अपनी-अपनी जो राय रखीं, उससे यह अनुमान लग गया कि पार्टियों की चुनावी रणनीति क्या हैं।
भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठ के सहारे रहेगी
भाजपा ने चुनाव आयोग के सामने जैसी मांग रखी है, उससे यही लगता है कि आगामी चुनाव में उसका सबसे बड़ा मुद्दा बांग्लादेशी घुसपैठ ही होगा। जिस तरह से झामुमो भाजपा के ऊपर इन दिनों लगातार हमले कर रहा है, वैसे ही भाजपा झामुमो और उसकी सहयोगी कांग्रेस और राजद पर हमलावर है। इन हमलों में उसका सबसे बड़ा मुद्दा संताल परगना के जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ है, जिसके कारण वह लगातार और बार-बार वहां की डेमोग्राफी चेंज होने और आदिवासियों के धर्मांतरण का मुद्दा उठा रही है। यह मुद्दा उसने चुनाव आयोग की टीम के सामने भी उठाया। भाजपा ने कहा कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसैठिए बढ़े हैं। इन घुसपैठियों का निराकरण होना चाहिए। फर्जी आधार कार्ड देकर वोटर आईडी बनवाये गये है, उसकी जांच होनी चाहिए। कोई ऐसा मैकेनिज्म डेवलप किया जाना चाहिए, जिससे फर्जी आधार कार्ड को पकड़ा जा सके।
झामुमो अपनी सरकारी योजनाओं के सहारे उतरेगी चुनावी समर में
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार इन दिनों राज्य की जनता, विशेषकर महिलाओं को लगातार योजनाओं की सौगात दे रही है। हेमंत सोरेन अपने तूफानी दौरों में भाजपा और केन्द्र सरकार पर हमले कर रहे हैं, अपनी सरकार की उपब्धियां गिना रहे हैं, अपनी हाल की योजनाओं का लगातार लोगों को लाभ दे रहे हैं और इन योजनाओं के सहारे राज्य को सबल बनाने का दावा कर रहे हैं। चुनाव आयोग की टीम के सामने झामुमो ने भी अपना पक्ष रखा है। झामुमो ने चुनाव आयोग के सामने जो सबसे बड़ा प्रस्ताव रखा है, वह है कि चुनाव दिसम्बर में होने चाहिए। झामुमो ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, दिसंबर में सरकार बनी थी, इसलिए चुनाव दिसम्बर में होने चाहिए। राज्य में त्योहारों का समय है। स्थापना दिवस भी है। ऐसे में आयोग इन सबको देखते हुए चुनाव कराने का निर्णय लिया जाना चाहिए ताकि सरकार अपना कार्यकाल भी पूरा कर ले। झामुमो का तात्पर्य अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि वह राज्य की जनता के लिए जो योजनाएं ला रही है, उसका ज्यादा से ज्यादा लाभ उसे दिया जा सके और उनका चुनावी लाभ लिया जा सके।
झामुमो से अलग नहीं है कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस ने भी पर्व-त्योहार का भी ध्यान रखे जाने की बात चुनाव आयोग के सामने कही है। कांग्रेस ने कहा, झारखंड में भगवान बिरसा की जयंती 15 नवंबर को है। इसके बाद ही चुनाव कराया जाए। हालांकि कांग्रेस ने आयोग से भाजपा की शिकायत भी कि कि राज्य में भाजपा के नेता उन्माद फैलाने का काम कर रहे हैं, उन पर रोक लगायी जानी चाहिए। ऐसे उन्माद फैलाने वाले नेता को चिह्नित कर झारखंड आने पर रोक लगाई जाए। यानी भाजपा पर जो आरोप झामुमो लगा रहा है, वही आरोप कांग्रेस ने भी लगाये हैं। दरअसल, भाजपा के कई शीर्ष नेता इन दिनों लगातार झारखंड का दौरा कर रहे है, भाजपा के इन नेताओं के झारखंड आगमन को इंडी गठबंधन अपना हथियार बनाना चाहती है ताकि लोगों को समझाया जा सके कि जिस भाजपा ने उन्हें कुछ नहीं दिया, अगर यह फिर से सत्ता में आ गये तो राज्य फिर से पीछे चला जायेगा।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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