Baba Bageshwar in Patna: धीरेंद्र कृष्ण गर्ग यानी बागेश्वर धाम सरकार आज देश ही नहीं, देश से बाहर भी एक जाना-माना नाम हैं। कथावाचन, हिंदू धर्म के प्रति उनके बोल-वचन और अपने सामाजिक कार्यों के लिए बाबा बागेश्वर ने काफी ख्याति अर्जित कर ली है। आज देश में जिस प्रकार असहिष्णुता का माहौल बन गया है, उसमें हिंदू धर्म के प्रति बाबा के ‘बोल’ हिंद धर्म के प्रति आस्था रखने वालों को अच्छे लगते हैं। बाबा जहां भी जाते हैं, उनके प्रति आस्था रखने वालों का हुजूम उनके कथावाचन को सुनने के लिए उमड़ पड़ता है। अब बाबा बागेश्वर 13 से 17 मई को बिहार की राजधानी पटना पधार रहे हैं। उनका आगमन ऐसे राज्य की राजधानी में हो रहा है जहां जदयू और राजद जैसी उच्च कोटि की ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टियां हैं जिनके ‘उच्च धर्मनिरपेक्ष’ नेताओं को बाबा का बिहार आना रास नहीं आ रहा है। कई नेताओं ने तो आने से पहले ही बाबा का विरोध करना शुरू कर दिया है। लालू प्रसाद यादव के एक लाल बाबा पर पहले से ही ‘लाल’ हुए बैठे हैं, जो कमी रह गयी थी, बिहार (बल्कि देश) को शिक्षा की नयी दिशा देने के प्रयास में लगे राज्य के शिक्षा मंत्री शायद इस भय से दुबले हुए जा रहे हैं कि वह जो ‘ज्ञान’ दुनिया को बांट रहे हैं उस पर ‘खतरा’ आने वाला है।
कैसे होता है बाबा बागेश्वर सरकार का कोई आयोजन?
खैर, आपको यह बताते हैं कि बाबा बागेश्वर सरकार का कहीं भी आयोजन करा पाना आसान कार्य नहीं है। बाबा बागेश्वर का आयोजन अपने आप में पूरा मैनेजमेंट है। इसमें छोटी-सी छोटी चीज का ध्यान रखा जाता है। बाबा बागेश्वर सरकार के आयोजन की पहली शर्त यह है कि जितने दिन कथावाचन चलेगा, हर दिन एक लाख लोगों का भंडारा हर हाल में होना चाहिए। बाबा का कोई भी आयोजन 5 दिनों से कम का नहीं होता है, इसलिए इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस पर कितना खर्च हो सकता है।
पंडाल पर खर्च- जिस कथावचन में 1 लाख से अधिक लोगों का भंडारा हो, उसी से आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि इतने बड़े आयोजन के लिए कितने बड़े मैदान की जरूरत होगी और वर्षा-पानी-धूप से बचने के लिए जो पंडाल बनाया जायेगा, यहां यह बता दें कि बाबा के दिव्य दरबार का पंडाल जर्मन वाटर प्रूफ पंडाल होता है। जो एकत्रित लोगों को वर्षा से खास सुरक्षा प्रदान करता है। अतः पंडाल पर कितना खर्च हो सकता है, इसका अनुमान लग जाता है।। पंडाल में बाबा के भव्य मंच के साथ लाख से ज्यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था साधारण काम नहीं है। कभी-कभी तो अनुमान से ज्यादा भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। बाबा के कथावाचन के आयोजन का जिम्मा जो भी व्यक्ति या संस्था लेगा उसे तमाम खर्चों को जोड़कर चलना होगा।
बता दें, पहले पटना के गांधी मैदान में बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार सजने वाला था, लेकिन राजनीतिक कारणों से वहां आयोजन की अनुमति नहीं मिली। बाबा का दरबार नौबतपुर-गोपालपुर मार्ग पर तरेत पाली नामक स्थान पर करीब तीन लाख स्क्वायर मीटर क्षेत्र में बाबा का दिव्य दरबार सजाया जायेगा।
1 लाख लोगों का भंडारा – यह तो पहले ही बता चुके हैं कि हर दिन 1 लाख लोगों का भंडारा होना तय है। एक लाख लोगों के भंडारे के आयोजन के तमाम खर्च को भी देखना होगा। राशन-पानी, रसोइया, चौका-बर्तन, खिलाने की तमाम व्यवस्था। यह खर्च ही अपने आप में एक बड़ी चुनौती है।
सुरक्षा की व्यवस्था- जिस जगह पर लाख से ज्यादा लोगों का जमावड़ा हो, वहां के स्थानीय प्रशासन की नींद तो ऐसे ही उड़ जाती है। बिना स्थानीय प्रशासन की मदद लिए इतना बड़ा आयोजन करा पाना सम्भव ही नहीं है। प्रशासनिक व्यवस्था के अलावा भी निजी सुरक्षा व्यवस्था की भी जरूरत पड़ती ही है। जाहिर है, लाखों की संख्या में भक्तों के हुजूम को नियंत्रित करने के लिए सैकड़ों की संख्या में सुरक्षा कर्मियों की आवश्यकता होगी। 24 घंटे सुरक्षा में लगे सुरक्षा कर्मियों की के खर्चे का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।
पर्ची निकलवाना- बाबा बागेश्वर के दिव्य दरबार का सबसे प्रमुख हिस्सा पर्ची निकालना है। चूंकि लाखों की संख्या में भक्त दिव्य दरबार में अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं, इसलिए पर्ची निकाल कर उनकी समस्याओं का समाधान बाबा करते हैं। पर्ची के लिए वैसे तो रजिस्ट्रेशन कराना होता है, लेकिन बिहार बागेश्वर फाउंडेशन की ओर से बताया गया है कि इस बार किसी भी भक्त को रजिस्ट्रेशन नहीं कराना होगा। दिव्य दरबार में जो भी पर्ची आयेगी, वह बाबा के समीप पहुंच जायेगी। बाबा बारी-बारी से भक्तों को बुलाकर पर्ची निकलवाएंगे। जो पर्ची निकलेगी, उसका समाधान करेंगे। भले ही पर्ची के लिए रजिस्ट्रेशन आदि नहीं हो रहे हैं, लेकिन बाबा तक पर्ची के पहुंचने तक एक व्यवस्था तो निश्चित की ही जायेगी। उस व्यवस्था में भी ढेरों स्वयंसेवियों की आवश्यकता होगी।
इसके अलावा भी कई छोटी-बड़ी व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं, जिनका दिव्य दरबार के आयोजन से सीधा सम्बंध है। अगर तमाम व्यवस्थाओं के खर्च का अनुमान किया जाये तो प्रति दिन 1 करोड़ से ज्यादा का खर्च ही बैठेगा। यानी पांच दिनों के आयोजन पर 5 करोड़ का खर्च तो होना ही होना है। खर्च अगर बढ़ जाये तो इसमें भी कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। वैसे भी, बाबा का आयोजन पांच दिनों का ही नहीं होता है। एक दिन पहले कलश यात्रा निकाली जाती है, जिसमें हजारों महिला-पुरुष भक्त शामिल होते हैं।
कौन हैं बागेश्वर धाम सरकार?
बाबा बागेश्वर धाम सरकार मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले के ग्राम गढ़ा के प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश हैं। सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने बागेश्वर सरकार का परिवार भिक्षा मांगकर, रामचरितमानस और सत्यनारायण कथा सुनाकर जीविकोपार्जन करता था। कहा जाता है कि बागेश्वर शास्त्री को भगवान हनुमान ने बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर बनने और समाज सेवा के लिए काम करने का निर्देश दिया था। उनके अनुसार, हनुमान जी और संन्यासी बाबा के आशीर्वाद से उन्हें सिद्धियां प्राप्त हैं। इन सिद्धियों को जनकल्याण और मानव सेवाहितार्थ काम में लेते है।
बागेश्वर शास्त्री के अनुसार उनके पास निजी संपत्ति के रूप में एक मोटरसाइकिल हैं। उन्हें जो भी दान-दक्षिणा आदि मिलता है वह धाम की सेवा में उपयोग होता है। उन्होंने नौ एकड़ जमीन खरीदी है, जिसपर कैंसर अस्पताल का निर्माण हो रहा है। धाम में जो भी दान आता है मंदिर विस्तार, जन-कल्याण कार्य जैसे कन्याओं का विवाह, रोगों के निदान के लिए और अन्नपूर्णा भंडारा में लगाया जाता है।
बागेश्वर शास्त्री विवादों में भी आये हैं। उनका नाम सुर्खियों में तब आया जब नागपुर की अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के श्याम मानव ने उन्हें चुनौती दी और उनकी आध्यात्मिक शक्तियों पर सवाल उठाया। कई हिंदू संगठनों ने बागेश्वर धाम सरकार के प्रमुख पुजारी शास्त्री का समर्थन किया। नागपुर पुलिस ने धीरेंद्र शास्त्री को नागपुर में उनके सार्वजनिक कार्यक्रमों में अंधविश्वासी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप से क्लीन चिट दी गयी है।
शास्त्री जगद्गुरु रामभद्राचार्य के शिष्य हैं। शास्त्री को रामचरितमानस और शिव पुराण के उपदेश के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि साधना के माध्यम से उन्हें कुछ दिव्य शक्तियां प्राप्त हुई हैं। कथित तौर पर, शास्त्री ने 2021 में एक घर वापसी कार्यक्रम के दौरान ईसाई धर्म में परिवर्तित 300 हिंदू लोगों को वापस हिंदू धर्म में लाया। इसी साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर, शास्त्री ने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने के लिए “हमें अपना समर्थन दो, हम हिंदू राष्ट्र देंगे” का नारा दिया।
नवम्बर में आ सकते हैं रांची?
वैसे खबर अपुष्ट है, लेकिन कहा जा रहा है कि बाबा बागेश्वर सरकार इस साल नवम्बर में रांची भी आ सकते हैं।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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