विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का तो उद्धार हो गया, मदर इंडस्ट्री HEC का कब खत्म होगा इन्तजार!

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के लिए कुल 11,440 करोड़ रुपये की पुनरुद्धार योजना को मंजूरी दे दी है। इसमें आरआईएनएल में हिस्सेदारी अंश पूंजी के रूप में 10,300 करोड़ रुपये और आरआईएनएल को चालू रखने के लिए 1140 करोड़ रुपये के कार्यशील पूंजी ऋण को 7 प्रतिशत गैर-संचयी प्राथमिकता शेयर पूंजी के रूप में बदलना शामिल है, जिसे 10 वर्षों के बाद भुनाया जा सकता है।

आरआईएनएल, भारत सरकार के 100 प्रतिशत स्वामित्व के साथ इस्पात मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक अनुसूची-ए सीपीएसई है। आरआईएनएल विशाखापत्तनम स्टील प्लांट (वीएसपी) का संचालन करता है, जो आंध्र प्रदेश राज्य में सरकारी क्षेत्र के तहत एकमात्र अपतटीय स्टील प्लांट है। इसकी स्थापित क्षमता 7.3 एमटीपीए तरल स्टील की है।

विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का तो उद्धार हो गया। अब सवाल उठता है कि देश की ‘मदर इंडस्ट्री’ कहे जाने वाले हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (HEC) का उद्धार कब होगा। आज अपनी दुर्दशा को रो रहे एचईसी में सूई से लेकर जहाज बनाने की क्षमता है। इसरो जब भी कोई सैटेलाइल लॉन्च करता है, उसके लॉन्चिंग पैड भी एचईसी ही तैयार करता है। इतनी क्षमता होने के बाद भी इसे इसकी दुर्गति होने के लिए छोड़ दिया गया है। एचईसी की जब स्थापना हुई थी तब इसमें 27 हजार कर्मचारी कार्य करते थे। आज स्थिति यह है कि यहां कुछ सौ इने-गिने कर्मचारी है, जिन्हें लम्बे समय से वेतन तक नहीं मिल रहा है। एसईसी को पुनर्जीवित करने के लिए सिर्फ खानापूर्ति की औपचारिकताएं पूरी की जाती है। न ही राज्य और न ही केन्द्र सरकार इसको फिर से खड़ा करने के उपाय कर रही हैं। जबकि यह निर्विवाद रूप से सच है कि एचईसी झारखंड का ही नहीं, पूरे देश की शान है।

थोड़ा एचईसी के बारे में!

हैवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन लि. (HEC) झारखंड के रांची में स्थित भारत का सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम है। इसे सबसे बड़े एकीकृत इंजीनियरिंग औद्योगिक कॉम्प्लेक्स के साथ उत्कृष्ट अभिकल्प, इंजीनियरिंग तथा उत्पादन सुविधा के आधार के रूप में वर्ष 1958 में स्थापित किया गया। कम्पनी में कास्टिंग और फोर्जिंग, फोर्जिंग, फैब्रिकेशन, मशीनिंग, असेम्बली, तथा परीक्षण आदि समस्त सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं जो सशक्त डिजाइन – इंजीनियरिंग तथा टेक्नॉलाजी टीम द्वारा संचालित होती है।

एचईसी की तीन प्रमुख इकाइयां हैं। भारी मशीन उत्पादन संयन्त्र (एचएमबीपी)- यह भारी मशीनरी और शीर्ष गुणवत्ता के उपकरणों का विनिर्माण के लिए अच्छी तरह से परिष्कृत मशीन टूल और उपकरणों से सुसज्जित है। यह इस्पात संयंत्र, खनन के लिए, खनिज प्रसंस्करण, क्रशर्स, सामग्री प्रहस्तन, क्रेन्स, ऊर्जा, सीमेंट, एल्युमिनियम, अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा आदि के डिजाइन और उपकरणों और घटकों के विनिर्माण में सक्षम है। फाऊंड्री फोर्ज संयंत्र (एफएफपी) – यह भारत का सबसे बड़ा तथा दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा फोर्जिंग और फाउण्ड्री संयंत्र है। यह संयंत्र एचईसी के लिए विभिन्न भारी कास्टिंग और फोर्जिंग और इस्पात संयंत्र, रक्षा, ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा आदि से संबंधित उपकरणों के निर्माण के लिए है। यह इस्पात संयंत्रों के लिए फोर्ज्ड रोल्स, रेलवे लोको के लिए क्रैंक शाफ्ट आदि का निर्माता है। भारी मशीन टूल्स संयंत्र (एचएमटीपी) -मैसर्स स्कोडाएक्स्पोर्ट चेकोस्लोवाकिया के साथ सहयोग में स्थापित एचएमटीपी देश का सबसे आधुनिक तथा परिष्कृत संयंत्र है जो भारी श्रेणियों की मशीन टूल्स का उत्पादन करता है। यह रेलवे, रक्षा, आयुध कारखानों, एचएएल, अंतरिक्ष और अन्य रणनीतिक क्षेत्रों के लिए मध्यम और भारी एवं सशक्त सीएनसी और परंपरागत मशीन टूल्स डिजाइन और विनिर्माण करता है। अब आप ही बताइए, इतने क्षमता सम्पन्न एचईसी को यूं ही कचरे के समान रहने को छोड़ दिया गया है। क्या यह झारखंड और पूरे देश का अपमान नहीं है?

काश, एचईसी के लिए भी पीएम मोदी कुछ ऐसा कहते!

विशाखापत्तनम स्टील प्लांट को पुनर्जीवित करने के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा- “विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का आंध्र प्रदेश के लोगों के दिल और दिमाग में एक विशेष स्थान है। कल की कैबिनेट बैठक में प्लांट के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की हिस्सेदारी अंश राशि सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया गया। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में इस्पात क्षेत्र के महत्व को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।”

हम झारखंड वासियों को इन्तजार है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी ‘मदर इंडसट्री’ एचईसी के लिए भी ऐसा कुछ कहें। हमें उम्मीद भी है कि पीएम मोदी ऐसा झारखंड के लिए भी कह सकते हैं। क्योंकि हमें याद है कि कुछ समय पहले उन्होंने धनबाद के सिन्दरी उर्वरक कारखाने को पुनर्जीवन दिया था।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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