Vice President Election: उपराष्ट्रपति पद (Vice President) पर होने वाले चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती(Mayawati) ने घोषणा की है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) को बसपा अपना समर्थन देगी। वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (jmm) ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के समर्थन का निर्णय लिया है।
धनखड़ का मुकाबला विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा से है
उपराष्ट्रपति के इस चुनाव में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल धनखड़ का मुकाबला विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा से है। बसपा सुप्रीमो के एलान के बाद जहां धनखड़ की दावेदारी और मजबूत हो गई है, वहीं झामुमो के समर्थन से मार्गरेट की स्थिति पहले से थोड़ी अच्छी होती दिख रही है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में जेएमएम अल्वा के साथ
झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया था। झामुमो के सारे विधायकों, सांसदों ने मुर्मू को ही वोट डाला था। लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने एनडीए की बजाय विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा का समर्थन कर दिया है।
कांग्रेस को उपकृत करेगा जेएमएम
पार्टी के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने आज पार्टी के इस फैसले का आधिकारिक पत्र जारी कर दिया है. उन्होंने कहा कि पार्टी ने विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पार्टी के सभी सांसदों को आगामी 6 अगस्त को होनेवाले मतदान में श्रीमती मार्गरेट आल्वा के पक्ष में वोट डालने का निर्देश दिया है. एमएम ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया था। जोकि झामुमो के लिए मजबूरी थी। चूंकि जेएमएम आदिवासी हित की राजनीति करता है और मुर्मू आदिवासी समाज से आती हैं। ऐसे में हेमंत सोरेन को मुर्मू का समर्थन मजबूरी में करना पड़ा। झारखंड की हेमंत सरकार कांग्रेस के समर्थन से चल रही है, सबसे बड़ी बात तो यह कि उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा कांग्रेस से ही जुड़ी रही हैं । ऐसे में जेएमएम की यह मजबूरी बन जाती है कि वह मार्गरेट को समर्थन करें।
जाट वोटर्स को लुभाने की कोशिश
धनखड़ को समर्थन देने के पीछे का कारण बसपा जाट वोटर्स को लुभाना चाह रही है। चूंकि धनखड़ जाट समुदाय से आते हैं और पश्चिम उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा समेत कई राज्यों में जाट समुदाय के वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है। अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं और यहां जाटों की अच्छी खासी संख्या है। मायावती की पार्टी भी यहां चुनाव लड़ेगी। ऐसे में वह जाट समुदाय को खुश करना चाहती है।
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