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वरुण गांधी की “द इंडियन मेट्रोपोलिस” पुस्तक कोरोना से उपजे शहरी-ग्रामीण हालात को समझने का प्रयास

Varun Gandhi's book "The Indian Metropolis" attempts to understand the situation arising out of Corona

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

भाजपा सांसद वरुण गांधी की नई किताब “द इंडियन मेट्रोपोलिस” आयी है जो जो कोरोना काल और उसके बाद शहरों के साथ ग्रामीण भारत में उपजी समस्याओं पर केन्द्रित है। “द इंडियन मेट्रोपोलिस”, वरुण गांधी की चौथी पुस्तक है, जिसे लिखने में तीन साल लगे। चूंकि इस पुस्तक में कोरोना से उपजे हालात पर चर्चा है, इसलिए इसकी शुरुआत कोरोना काल की शुरुआत के साथ हुई लगती है।

42 वर्षीय वरुण गांधी पुस्तक के बारे में बताते है कि लॉकडाउन के दौरान शहरी प्रवासियों ने जो झेला, उसकी कल्पना ही की जा सकती है। मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण आवश्यक सख्त लॉकडाउन के बाद के हफ्तों में, आर्थिक रूप से कमजोर हजारों लोग जो शहरों की ओर पलायन कर गए थे, सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर लौटे। रिवर्स माइग्रेशन ने शहरों में रहने की स्थिति पर एक तीखी बहस छेड़ी।

वरुण गांधी की पुस्तक में कोरोना से उपजे हालात पर ही चर्चा नहीं कि बल्कि ग्रामीण भारत की कठिनाइयों को समझने का प्रयास किया है। उन्होंने शहरी भारत में लोग कैसे रहते हैं, इस पर भी एक सघन लेख लिखने का प्रयास किया है। वरुण गांधी बताते हैं कि वह शहरों में रहने वाले हजारों भारतीयों के साथ मिले, उनसे बातचीत की और महामारी से उबरने के बाद, यह स्पष्ट हो गया कि हमारे शहरों में जीवन अभी भी चुनौतीपूर्ण है।

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