US Election 2024 :अमेरिका में प्रेसीडेंट चुनाव के बाद परिणाम लगातार आ रहे हैं. इस बीच पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने जीत का ऐलान करते हुए विक्ट्री स्पीच भी दे डाली. उनका कहना है कि वो अमेरिका को फिर से दुनिया का महान देश बनाएंगे. उन्होंने लोगों को सपना दिखाया हम सब फिर खुशहाल और बेहतरीन जिंदगी जिएंगे. हालांकि डोनाल्ड ट्रंप एक विवादास्पद हस्ती भी हैं. उनके खिलाफ कई मुकदमे चल रहे हैं. एक दो उन्हें दोषी भी ठहराया जा चुका है. हालांकि इसमें कोई शक नहीं कि ट्रंप ने पिछले 06 महीनों से जबरदस्त चुनाव अभियान चलाया.
ट्रंप एक सदी में पहले ऐसे शख्स होंगे, जो राष्ट्रपति बने. फिर चुनाव हारे और इसके बाद फिर अगले चुनाव को जीतकर राष्ट्रपति पद पर वापसी की. एक अजीब का साम्य और भी है कि उन्होंने दो बार प्रेसीडेंट का चुनाव तब जीता जब उनके खिलाफ महिला प्रत्याशी थीं. वर्ष 2016 में उन्होंने हिलेरी क्लिंटन को हराया था. 2020 में पुरुष कैंडीडेट जो बाइडन से हार गए. अब चार साल बाद फिर महिला कैंडीडेट कमला हैरिस को हराया.
हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि महिला विरोधी प्रत्याशियों के होने ने भी ट्रंप की जीत को आसान बनाया. क्योंकि अमेरिकी समाज अब भी आमतौर पर पितृसत्तात्मक समाज ज्यादा है. जो राजनीति में धर्म को भी लाता है.
क्या हैं उनकी जबरदस्त जीत की पांच वजहें
1. मजबूत आधार समर्थन
ट्रंप का अपना मजबूत सपोर्ट बेस है. उनके समर्थकों का आधार उनके साथ लगातार बना हुआ है. उसी वजह से रिपब्लिकन पार्टी में वह ना केवल फिर से प्रेसीडेंट कैंडीडेट बन पाए बल्कि चुनाव अभियान के दौरान लगातार दिखाया कि वो खासे मजबूत हैं उन्हें चुनाव अभियान के दौरान लगातार रैलियों में खासा समर्थन मिला. भीड़ जुटी. उन्होंने “अमेरिका को फिर से महान बनाने” का सपना दिखाया. कामकाजी वर्ग विशेष रूप से कॉलेज की डिग्री न रखने वाले मतदाताओं से उनकी अपील ने उनके पारंपरिक मतदानों को साथ रखा. दरअसल डेमोक्रेटिक पार्टी के बाइडन के चार साल के राज में लोगों को कई मामलों में मायूसी हुई थी.
2. महंगाई और बेरोजगारी
पिछले चार सालों में अमेरिका में महंगाई बढ़ी है. साथ ही कोरोना के बाद बेरोजगारी की समस्या भी हुई है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था खराब हाल में बताई जा रही है. हालांकि कमला हैरिस ने चुनाव भाषणों में बार बार कहा कि अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आई है. सबकुछ बेहतर है लेकिन जनता ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया. उन्हें ये भी लग रहा था कि अमेरिका अपना ज्यादातर पैसा बाहर के कामों पर लगा रहा है जबकि उसकी जरूरत देश को ज्यादा है.
ट्रंप का अभियान आर्थिक सुधार, कर कटौती के वादे और अमेरिका में मजबूत विनिर्माण की वापसी पर केंद्रित रहा. वो हर सभा में ये मुद्दे उठाकर बेहतर दिन वापस लौटने और महान अमेरिका के सपने दिखाते रहे. उनका लक्ष्य कॉर्पोरेट करों और विनियमन में और कटौती का प्रस्ताव देकर लोगों को लुभाना था, जिसमें वह पर्याप्त तौर पर सफल रहे.
3. आव्रजन नीति
आव्रजन पर ट्रंप का रुख कई मतदाताओं की चिंता को जाहिर करता है. खासतौर पर बाइडन प्रशासन के चार साल के कामकाज के दौरान लोगों के दिमाग में खासतौर पर ये बैठ गया कि बाहर के लोग देश में आ रहे हैं. उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है. सीमा सुरक्षा भी चिंता का विषय है. ट्रंप ने इस पर सख्ती से रोक लगाने की बात की है. उन्होंने फर्स्ट अमेरिकन की बात की यानि अप्रवास खत्म करके अमेरिकियों और उनके परिवारों की सुरक्षा को आगे रखा जाएगा. ट्रंप का साफ कहना है कि वह अवैध आव्रजन से सख्ती से निपटेंगे.
4. स्विंग स्टेट में भारी पड़े
ट्रम्प ने जॉर्जिया और उत्तरी कैरोलिना जैसे प्रमुख स्विंग राज्यों को सफलतापूर्वक फिर अपने नाम लिख दिया, जो उनकी चुनावी सफलता के लिए जरूरी थी. कहा जा रहा है कि इस बार ट्रंप ने जो समर्थन हासिल किया है, वो उनकी 2016 की जीत से ज्यादा जबरदस्त है. इन क्षेत्रों में उनके बार-बार के दौरे और लक्षित अभियान ने उन मतदाताओं के बीच उनके समर्थन को मजबूत करने में मदद की है जो पहले डेमोक्रेटिक थे, लेकिन अब उनकी ओर आ गए. खासकर उनको ट्रंप के इन वादों में दम लगा कि देश में भेदभाव खत्म होगा, देश ज्यादा मजबूत और महान होगा. लोगों का जीवन ज्यादा बेहतर होगा.
5. लोगों को लगा कि वह मजबूत प्रेसीडेंट होंगे
अमेरिका और दुनिया जिस दौर से गुजर रही है, उसमें अमेरिका के लोगों को लगा कि उन्हें एक मजबूत और साफ साफ बात करने वाले प्रेसीडेंट की जरूरत है. इसमें उन्हें ट्रंप एकदम परफेक्ट नजर आए. हालांकि ट्रंप विवादित हैं, मुकदमों में फंसे हुए हैं.
महिलाओं के साथ उनके मामलों ने उन्हें बदनाम किया है लेकिन इन सबके बावजूद लगता है कि अमेरिका के लोगों की नजरों में वह दमदार राष्ट्रपति होने लायक शख्सियत थे. इसी वजह से उन्हें इस बार ज्यादा दमदार समर्थन मिला. इसी वजह से केवल वह नहीं बल्कि उनकी पार्टी सीनेट के साथ हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में बहुमत पाने की ओर बढ़ रही है. सीनेट में बहुमत मिल चुका है. हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में करीब है.
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