न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के पहले चरण की शुरुआत गुरुवार को हो रही है। शुरुआत पश्चिमी यूपी की 58 सीटों पर वोटिंग से हो रही है। वोटरों को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों को जो भी दांव चलने थे वे चल चुके, अब बारी वोटरों की है। इन सीटों पर 623 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। लेकिन वोटर्स के मन में क्या है, यह 10 मार्च को ही पता चल पायेगा। जिन 58 सीटों पर गुरुवार को वोटिंग होनी है, पिछली बार यानी 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां सफाया कर दिया था। 58 सीटों में 53 सीटें भाजपा के खाते में गयी थीं। सपा और बीएसपी ने 2-2 सीटें जीती थीं। 1 सीट आरएलडी को मिली तो उसका विजयी विधायक बीजेपी में चला गया।
खैर, यह तो पिछली बार की कहानी है, भाजपा का इस बार उस तरह से सफाया करना संभव नहीं होगा। 2017 के मुकाबले इस बार राजनीतिक दलों की चालें और स्थानीय वोटों का समीकरण बदले हुए हैं। इसके अलावा किसान आंदोलन, लखीमपुर खीरी कांड के चलते यहां के वोटर्स भाजपा से नाखुश नजर आ रहे हैं। यहां की जो हवा बदली है, उसका फायदा समाजवादी पार्टी और रालोद गठबंधन उठाना चाहेगा। हालांकि यहां के वोटर भले ही भाजपा से नाराज हों, लेकिन सपा-रालोद गठबंधन को पूरी तरह से समर्थन देने को लेकर उनके मन में अभी भी संशय है। इसलिए आखिरी क्षण में उनके इधर या उधर झुकाव पर भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन की राहें आसान या कठिन होंगी।
पाला बदलने वाले भी पैदा करेंगे दिक्कतें
इसके साथ पाला बदलने वाले नेता भी भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे। आगरा के फतेहाबाद से भाजपा के विधायक जितेंद्र वर्मा का सपा में जाना शुभ नहीं है। जितेंद्र वर्मा फतेहाबाद और आगरा सीटों पर भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मुजफ्फरनगर से चार बार के विधायक रहे हरेंद्र मलिक के बेटे पंकज को चरथापल सीट से सपा-रालोद गठबंधन का टिकट मिला है। चुनाव से ठीक पहले पंकज और हरेंद्र दोनों ही कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे। बसपा और कांग्रेस के प्रत्याशी भी कई सीटों पर भाजपा के लिए परेशानियां खड़ी करेंगे।
हालांकि दूसरी पार्टियों से भी भाजपा के पाले में कुछ नेता आये हैं। खैरागढ़ से बसपा के विधायक रह चुके भगवान सिंह कुशवाहा इस बार भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, एत्मादपुर में विधायक रहे और सपा के बड़े नेताओं में शुमार डॉक्टर धर्मपाल सिंह अब भाजपा में शामिल हो गये हैं। इस बार भाजपा ने उन्हें एत्मादपुर से टिकट दिया है।
2017 में क्या था सीटों का हाल
- शामली : भाजपा ने 2017 में तीन सीटों में से दो पर कब्जा किया था। एक सीट पर सपा प्रत्याशी की जीत हुई थी।
- हापुड़ : यहां की तीन सीटों में दो पर भाजपा जबकि एक पर बसपा की जीत हुई थी।
- गाजियाबाद : एनसीआर में पड़ने वाली कुल पांचों सीटें भाजपा के खाते में गईं थीं।
- मेरठ : यहां की सात सीटों में से छह पर भाजपा जबकि एक पर सपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।
- मुजफ्फरनगर : यहां की सभी पांच सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी।
- बागपत : यहां की तीन सीटों में दो पर भाजपा जबकि एक पर रालोद प्रत्याशी की जीत हुई थी।
- बुलंदशहर : यहां की सभी सात सीटें भाजपा के खाते में गई थीं।
- नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) : यहां की तीनों सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।
- अलीगढ़ : यहां की सभी सात सीटों भाजपा प्रत्याशियों ने ही जीत हासिल की थी।
- आगरा : यहां की सभी नौ सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी।
- मथुरा : यहां की पांच सीटों में से चार पर भाजपा ने जीत हासिल की थी, जबकि एक पर बसपा प्रत्याशी जीता था।
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