युद्ध रोकने गये यूक्रेन राष्ट्रपति और अमेरिकी राष्ट्रपति में हो गया ‘युद्ध’, अब यूक्रेन का क्या होगा?

व्हाइट हाउस में वोलोडिमीर जेलेंस्की की सरेआम बेइज्जती!

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की इस उम्मीद में अमेरिका पहुंचे थे ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से समझौता करके यूक्रेन और रूस युद्ध को खत्म करवाया जा सके। हालांकि इसकी भारी कीमत ट्रम्प यूक्रेन राष्ट्रपति से वसूनला चाहते थे। अमेरिका और यूक्रेन में एक समझौता भी हो गया था, यह समझौता यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों (खनिजों) की हिस्सेदारी को लेकर था। लेकिन अमेरिका पहुंचे जेलेंस्की और ट्रम्प के बीच ‘कुछ’ ऐसा हुआ जिसके बाद यह वार्ता तीखी बहस में बदल गयी।  बहस इतनी तीखी हो गयी कि ट्रंप ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से चले जाने के लिए कह दिया। जेलेंस्की दोनों देशों के बीच खनिजों पर समझौते के लिए अमेरिका दौरे पर गये थे। हालांकि, अब ये समझौता अब खटाई में पड़ गया है। खनिजों के इस समझौते के पीछे भी कहानी है, या यूं कहें, यह यूक्रेन की अस्मिता को कुचलने की कहानी है।

व्हाइट हाउस में ट्रम्प और जेलेंस्की की बीच क्या हुआ?

व्हाइट हाउस में ट्रंप और जेलेंस्की के बीच बातचीत और बहस का दौर करीब 30 मिनट चला। बहस शुरू होने के बाद अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस बीच भी बीच में टपक पड़े। वह बीच-बचाव करने नहीं आये थे। वेंस ने जेलेंस्की को ही ‘दोषी’ ठहराते हुए से कहा, “आपका रवैया बहुत असम्मानजनक है। ये सही कूटनीति नहीं है। आपको जंग रोकने के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प को शुक्रिया कहना चाहिए।”

उसके बाद ट्रंप ने कहा, “आप जंग नहीं जीत रहे हैं, लेकिन हमारी वजह से आपके पास सुरक्षित बाहर आने का अच्छा मौका है।” इस पर जेलेंस्की ने कहा, “जंग की शुरुआत से ही हम अकेले हैं”

जवाब में ट्रंप ने कहा, “आप अकेले नहीं थे। हमने आपको मूर्ख राष्ट्रपति (बाइडन) के जरिए 350 अरब डॉलर दिये, सैन्य उपकरण दिये। अगर हमारे हथियार न होते तो यह जंग 2 हफ्तों में खत्म हो जाती।”

यूक्रेन के प्राकृत संसाधनों पर ट्रम्प की है नजर!

अब असल कहानी! यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ट्रंप के साथ यूक्रेन के खनिजों को लेकर समझौता करने पहुंचे थे। ट्रंप राष्ट्रपति की नजर यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों पर है। ट्रंप ने धमकी दी थी कि अगर खनिजों को लेकर वह समझौता नहीं करते हैं तो यूक्रेन को अमेरिकी मदद रोक दी जाएगी। इसी संबंध में जेलेंस्की ट्रंप से मिलने आये थे।

यूक्रेन और रूस का युद्ध खत्म करवाने के बदले डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन के प्राकृतिक संसाधनों को ‘हड़प’ लेना चाहते हैं। अमेरिका और यूक्रेन ने प्राकृतिक संसाधनों और यूक्रेन के पुनर्निर्माण पर एक डील पर सहमति जतायी थी। यह सहमति तब बनी है जब समझौते से जुड़े ड्राफ्ट में सभी अस्वीकार्य शर्तों को हटा दिया गया। अब इसमें साफ तौर से बताया गया है कि यह डील यूक्रेन की सुरक्षा और शांति में किस तरह योगदान देगा। पहले अमेरिका की ओर से समझौते की शर्तों पर सहमति की पुष्टि यूक्रेन ने नहीं की थी। ट्रंप लगातार यूक्रेन पर दबाव बना रहे थे कि एक ऐसी डील हो। इतना ही नहीं, इससे पहले ट्रंप ने यूक्रेन को मदद के बदले खनिजों में 500 बिलियन डॉलर की हिस्सेदारी मांगी थी, लेकिन जेलेंस्की ने इसे खारिज कर दिया था।

यह तो ताजा घटनाक्रम है। इसकी शुरुआत यूक्रेन और रूस के युद्ध के शुरू होने के पहले यानी तीन साल पहले ही हो गयी थी। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन यूक्रेन की मदद के लिए इसी शर्त पर तैयार हुए थे कि यूक्रेन अपने यहां के कीमती खनिजों में अमेरिका को बड़ी हिस्सेदारी देगा और जेलेंस्की ने इस पर सहमति भी जतायी थी। उसके बाद ही अमेरिका लगातार यूक्रेन को मदद कर रहा था। इतना ही नहीं दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क की स्टारलिंक ने खुल कर अपनी तकनीकी सहायता यूक्रेन को दी थी।

कई देशों ने किया जेलेंस्की का समर्थन

जर्मनी के अगले संभावित चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा, “हमें इस भयानक युद्ध में हमलावर और पीड़ित को लेकर भ्रमित नहीं होना चाहिए।”

पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्‍ड टस्‍क ने कहा, ‘प्रिय जेलेंस्‍की, आप अकेले नहीं हैं।’

फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा, “हमें उनका सम्मान करना चाहिए, जो शुरू से ही संघर्ष कर रहे हैं।

नीदरलैड के प्रधानमंत्री डिक शूफ ने लिखा, “हम स्थायी शांति चाहते हैं और रूस द्वारा शुरू की गई आक्रामकता का अंत चाहते हैं।”

पूरे घटनाक्रम के बाद जेलेंस्की ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में अमेरिका का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा- ‘धन्यवाद अमेरिका, आपके समर्थन के लिए धन्यवाद, इस यात्रा के लिए धन्यवाद। धन्यवाद अमेरिकी राष्ट्रपति का, कांग्रेस और अमेरिकी जनता का। यूक्रेन को न्यायसंगत और स्थायी शांति की जरूरत है और हम ठीक उसी के लिए काम कर रहे हैं।’

वहीं, ट्रंप ने लिखा कि जब जेलेंस्की शांति के लिए तैयार हों, तब वापस आ सकते हैं।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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