न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इस जंग के कारण करीब 20,000 भारतीय छात्र यूक्रेन में फंस गये थे। इन छात्रों में करीब 1500 छात्र वापस भारत लाये जा चुके हैं। अभी भी हजारों छात्र वहां फंसे हुए हैं और संकटों का सामना कर रहे हैं। भारत पड़ोसी देशों की मदद से अपने नागरिकों को निकालने का काम कर रहा है। यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को वहां से निकालने में भारत ही सबसे ज्यादा सक्रिय है। दूसरे और बड़े देशों ने तो हाथ ही खड़े कर दिये हैं। इस संकट के बीच कर्नाटक के एक छात्र के मारे जाने की दुखद खबर भी आयी है।
मोदी सरकार द्वारा शुरू किये गये ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत अबतक 1500 भारतीय छात्रों सहित 6 हजार से अधिक नागरिकों को वतन वापस लाया जा चुका है। दूसरी ओर ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका ने अपने-अपने नागरिकों को निकालने में परोक्ष रूप से असमर्थता जता दी है।
क्या कर रहे हैं अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और चीन
एक ओर जहां भारत अपने नागरिकों के लिए चिंतित है और हर कोशिश कर रहा है कि अपने सभी नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया जाये, वहीं अमेरिका का कहना है कि वह अपने नागरिकों को निकालने में सक्षम नहीं है। उसने अपने नागरिक को सीमा पार कर दूसरे पड़ोसी देशों में पहुंचने की सलाह दी है। ब्रिटेन ने अपने नागरिकों से वापस लाने में असमर्थता जताते हुए स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की सलाह अपने नागरिकों को दी है। जर्मनी ने तो अपना दूतावास ही अस्थायी तौर पर बंद कर दिया है। वहीं, चीन ने अपने नागरिकों को निकालने का ऑपरेशन स्थगित कर दिया है। मिस्र, नाइजीरिया और मोरक्को जैसे देशों ने अपने छात्रों को निकालने के लिए अब तक कोई ऑपरेशन शुरू ही नहीं किया है। गौरतलब है कि यूक्रेन में 80 हजार से अधिक विदेशी छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें भारतीय छात्रों की संख्या 20 हजार के करीब है।
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