न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-वार्ता
रूसी हमले के बाद यूक्रेन ने देश के भीतर नागरिक विमानों की उड़ानों को प्रतिबंधित कर दिया है। इस प्रतिबंध के बाद यूक्रेन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट को बीच रास्ते से वापस दिल्ली बुला लिया गया। बता दें, यूक्रेन में करीब 20 हजार भारतीय फंसे हुए हैं। भारत ने उनको एयरलिफ्ट करना शुरू किया ही था कि रूस ने यूक्रेन पर हमले शुरू कर दिये। इससे भारत में रहने वाले उनके परिजनों की चिंता बढ़ गयी है। लेकिन भारत ने यूक्रेन में फंसे सभी भारतीयों को आश्वस्त किया है कि उनकी सुरक्षा की देश को चिंता है। वे जहां हैं, वहीं रहें। जैसे ही सम्भव होगा, एक-एक भारतीय को वहां से निकाल लिया जायेगा।
यूक्रेन-रूस संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर वार्ता पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। इस पर पुतिन ने कहा कि आप निश्चिंत रहें, किसी भी भारतीय को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।
भारत यूक्रेन संकट पर लगातार अपनी नजर लगाये हुए है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस तिरुमूर्ति ने कहा था कि मौजूदा स्थिति एक बड़े संकट में तब्दील होने की कगार पर है। सभी पक्षों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में 20,000 से अधिक भारतीय छात्र सहित भारतीय निवासियों को वापसी की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
182 भारतीय नागरिक यूक्रेन से पहुंचे भारत
यूक्रेन इंटरनेशनल एयरलाइंस (यूआईए) की एक स्पेशल फ्लाइट छात्रों सहित 182 भारतीय नागरिकों के साथ आज सुबह 7:45 बजे कीव से दिल्ली हवाई अड्डे पर लैंड हुई। एक दिन पहले ही 240 भारतीय सुरक्षित स्वदेश लौटे थे
भारत का सावधानी से खेला गया कूटनीतिक दांव
अमेरिका चाहता था कि भारत संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ मतदान में हिस्सा ले, लेकिन भारत ने यहां बहुत ही सावधानी से कूटनीतिक दांव खेल दिया। इसकी अमेरिका को उम्मीद भी नहीं थी। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ मतदान में हिस्सा नहीं लिया। भारत के इस कदम की रूस ने भी तारीफ की है।अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार भी इसे भारत का समझदारी भरा कदम बता रहे हैं। ट्रंप प्रशासन के समय भारत और अमेरिका के संबंध काफी करीब चले गए थे। इस कूटनीतिक पहल को भांपकर रूस ने भारत के साथ अनमना-सा व्यवहार करना शुरू कर दिया था, लेकिन रूस के साथ एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षी प्रणाली का सौदा करने और अमेरिकी दबाव के आगे न झुककर भारत ने फिर से रूस का भरोसा जीतना शुरू किया है।
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