Tripura Election: 2024 की लेकर किसकी कितनी तैयारी है, उसकी शुरुआत बस होने ही वाली है। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में होने वाले चुनावों में त्रिपुरा के चुनाव के लिए आज शाम प्रचार का शोर समाप्त होने वाला है, क्योंकि 16 फरवरी को वहां वोट डाले जाने हैं। त्रिपुरा के चुनाव में किसकी कितनी तैयारी है इसका अंदाजा वहां चल रहे चुनाव प्रचार से भी लग सकता है। एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत भाजपा के शीर्ष नेता त्रिपुरा में एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए हैं, वहीं कांग्रेस की ओर से गांधी परिवार नदारद दिखा। तो क्या यह मान लिया जाये कि कांग्रेस ने वहां ‘आत्मसमर्पण’ कर दिया है। त्रिपुरा में कांग्रेस लेफ्ट से हाथ मिलाकर शायद अपनी प्रतिष्ठा बचाने का प्रयास कर रही है। ऐसा त्रिपुरा को लेकर कांग्रेस की रणनीति के आधार पर तो अवश्य कहा जा सकता है।
दूसरी ओर भाजपा ने अपनी तैयारियों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। पीएम नरेंद्र मोदी जोर-शोर से प्रचार में जुटे हुए हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रणनीति बनाने में व्यस्त हैं। मगर गायब है तो कांग्रेस कुनबा जो इस चुनाव में दूर-दूर तक नहीं दिख रहा। पार्टी के आलाकमान ने यहां पहुंचने की जहमत भी नहीं उठायी। कांग्रेस की ओर से न राहुल गांधी और न ही प्रियंका गांधी ने इस क्षेत्र में प्रचार किया है। त्रिपुरा में कांग्रेस-लेफ्ट के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। भले ही कांग्रेस के नेता अपनी पार्टी की जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन पार्टी ने चुनाव प्रचार और जीत का पूरा जिम्मा लेफ्ट नेताओं पर ही छोड़ दिया है।
भारत जोड़ो यात्रा समाप्त हो चुकी है, संसद सत्र का प्रथम चरण भी समाप्त हो चुका है। कांग्रेस के कार्यक्रमों से ऐसा भी नहीं है कि राहुल गांधी कहीं व्यस्त हैं। फिर भी चुनावी राज्यों से उन्होंने पता नहीं क्यों दूरी बना रखी है। सवाल यह है कि लड़ाई से पहले ही अगर उन्होंने हार मान ली है तो इस मानसिकता से कांग्रेस 2024 में मोदी को कैसे मात दे पाएगी?
कुल मिलाकर सबकी निगाहें भाजपा पर ही लगी हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या त्रिपुरा में उसकी एक फिर वापसी हो सकेगी या नहीं। वैसे सत्तारूढ़ भाजपा भी सत्ता में वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है। दूसरी ओर राज्य में चिर प्रतिद्वंद्वी रहे वाम मोर्चा और कांग्रेस गठजोड़ के साथ मैदान में उतरे हैं। वहीं, त्रिपुरा के पूर्व महाराज के उत्तराधिकारी प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मन के नेतृत्व वाली आदिवासी पार्टी टिपरा मोथा भी तीसरे पक्ष के तौर पर चुनाव मैदान में है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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