Tana Bhagat Community: तिरंगे की पूजा और भारत माता की वंदना से अपने दिनचर्या की शुरुआत करने वाले महात्मा गांधी के अनुयायी झाररखंड के आदिवासी टाना भगत (Tana Bhagat) पूरी दुनिया में बेमिसाल हैं। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंकने वाला झारखण्ड का यह आदिवासी टाना भगत (Tana Bhagat jharkhand) समुदाय विश्व का एक ऐसा इकलौता और अनोखा समुदाय है जिनकी रग रग में राष्ट्र प्रेम का लहू आज भी दौड़ता है। हर घर में साल भर हर दिन तिरंगे की पूजा और भारत माता की वंदना होती है। बगैर तिरंगे की पूजा और भारत माता के वंदना किये ये समुदाय अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करता है। देश भक्ति का ऐसा जज्बा शायद ही किसी ने कहीं देखा हो बावजूद इसके आज भी इन्हें भर पेट भोजन नसीब नहीं होता।
मार्मिक है पीछे की कहानी
महात्मा गाँधी के अनुयायी के तौर पर देश मे पहचान रखने वाले आदिवासी टाना भगतों ने 1914 मे अपने गुरु जतरा टाना भगत और तुरिया टाना भगत के नेतृत्व मे अंग्रेजी हुकूमत के साथ जमींदारी प्रथा का विरोध करना शुरू किया। वर्तमान झारखंड के रांची, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा और पलामू हिस्से मे रहने वालों के अहिसावादी आंदोलन की जानकारी महात्मा गांधी को भी मिली। फिर गांधी जी से 1921 मे टाना भगतों की मुलाक़ात हुई। इसके बाद यह समुदाय पूरी तरह गांधी के रंग मे रंग गया। गांधी जी के आह्वान पर 1921 – 1922 में असहयोग आन्दोलन में शामिल होकर अंग्रेजों को मालगुजारी देना इन्होंने बंद कर दिया। बदले में अंग्रेजी सरकार ने 786 टाना भगत परिवार की 4500 एकड़ जमीन तत्कालीन रातू महाराजा को निर्देश देकर नीलाम करवा दी। तब महात्मा गाँधी ने इन आजादी के दीवानों को देश के आजाद होने पर जमीन वापसी का भरोसा दिलाया था।आजादी के बाद गाँधी जी की बातों को मानते हुए भारत सरकार ने तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह के हाथों 125 परिवार को 1000 एकड़ जमीन वापस भी करवा दिया।लेकिन उसके बाद से शेष टाना भगत परिवार के लोग केंद्र सरकार से लेकर बिहार सरकार और वर्तमान झारखण्ड सरकार से गुहार लगा कर थक चुके हैं फिर भी नीलाम हुई इनकी जमीन आज तक वापस नहीं मिल पायी है।
आज भी अपने समुदाय के हक़ की लडाई लड़ रहे हैं गंगा टाना भगत
आज आदिवासी टाना भगत परिवार की संख्या झारखण्ड में 5000 हजार से भी ज्यादा है। इन्ही के परिवार से एक विधायक भी अविभाजित बिहार के समय रहा, गंगा टाना भगत (ganga tana bhagat)। पूर्व कांग्रेसी विधायक गंगा टाना भगत आज भी अपने समुदाय के हक़ की लडाई लड़ रहे हैं। इसी क्रम मे रांची मे 25 सितंबर 2012 को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी टाना भगतों ने रांची मे मुलाक़ात की थी। उस समय केंद्र मे कांग्रेस यूपीए की सरकार थी। लेकिन मामला फिर भी सिफर ही रहा ।
जिस जमीन के ये कभी मालिक थे, आज उसी जमीन पर करते हैं मजदूरी
टाना भगतों की विवशता का आलम आज यह है कि जिस जमीन के ये कभी मालिक थे, आज उसी जमीन पर मजदूरी करते हैं।फिर भी दो जून की रोटी इन्हे आज नसीब नहीं है। गरीबी और लाचारी आज टाना भगतों की पहचान बन गयी है। पलायन और अशिक्षा इनकी किस्मत है। बूढों की जिंदगी खेत मे बीत रही है तो जवान टाना भगत पेट की खातिर पलायन को मजबूर हैं और बच्चे गाँव की गलियों में नजर आते हैं । फिर भी हर दिन तिरंगे की पूजा और भारत माता की वंदना नहीं भूलते टाना भगत परिवार। टाना भगतों के इस जज्बे को हमारा भी सलाम।
ब्रजेश राय, संपादक समाचार प्लस झारखंड-बिहार
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