सरकार आम अवाम को समन्वय स्थापित कर विकास योजना में सहभागी बनने की बात करती है। लेकिन हालात यह है कि सरकार के अपने ही विभागों के बीच कई बार समन्वय स्थापित नहीं हो पाती है।
जिसके कारण समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जाती है। फिलहाल जहानाबाद से गया जाने वाली सड़क पर एरकी ग्रिड के समीप कई पेड़ दुर्घटना को दावत दे रहें हैं। पहले ये पेड़ सड़क के किनारे थे।
सड़क की चौड़ाई के बाद लगभग दर्जनों पेड़ सड़क के बीचो-बीच में आ गए हैं। जिसके कारण दुर्घटना की संभावना हमेशा बनी रहती है। हालांकि, अभी तक कोई बड़ी घटना तो नहीं हुई है। लेकिन स्थिति जिस तरह से है कि कभी भी इससे लोगों की जान जा सकती है।
रास्ते से गुजरने वाले लोग इस स्थिति को देखकर हमेशा यही सोचते हैं कि आखिर इन पेड़ों की कटाई सड़क के चौड़ीकृण की प्रक्रिया से पहले क्यों नहीं हुई। हालत यह है कि राज्य पथ निर्माण निगम और वन विभाग के बीच इन पेड़ो को काटने को लेकर समन्वय स्थापित नहीं हो सकी।
पथ निर्माण विभाग को समय सीमा के अंदर सड़क का निर्माण करना था। सड़क तो बना दी गई लेकिन पेड़ बीचो-बीच यमराज बनकर खड़े हो गए। इसे लेकर सड़क निर्माण विभाग के लोगों का कहना है कि हम लोग काफी पहले से इन पेड़ों को काटने के एनओसी के लिए वन विभाग को आवेदन दे चुके हैं।
लेकिन अब तक इसे लेकर आदेश प्राप्त नहीं हो सका है। इस संबंध में जिला वन क्षेत्र पदाधिकारी रितुपर्णा ने बताया कि जिला स्तर पर हम लोगों को सिर्फ जांच करने का ही अधिकार प्राप्त है। एनओसी की प्रक्रिया गया से संचालित होती है। अभी तक हमारे पास इसे लेकर कोई आदेश नहीं आया है।
रात के अंधेरे में और खतरनाक हो जाते हैं सड़क पर खड़े पेड़
दिन में तो आने-जाने वाले गाड़ियों को दूर से पेड़ नजर आ जाते हैं। रात के अंधेरे में यह और भी गंभीर समस्या उत्पन्न करता है। हल्की सी चूक में गाड़ियां सीधे पेड़ से टकरा सकती है।
हालांकि, राहत देने वाली बात यह है कि बाईपास से आवागमन संचालित होने के बाद इस रास्ते से बड़े गाड़ियों का परिचालन कम होता है।
जिसके कारण दुर्घटनाएं टल रही है। फिर भी शहर में आने वाले मालवाहक वाहन के अलावा अन्य छोटी गाड़ियां इसी रास्ते से आती जाती है।