Arvind Kejriwal Supreme Court: सीजेआई समेत 5 जजों की सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने, ‘दिल्ली सरकार का ‘बॉस’ कौन होगा’ को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह तय कर दिया कि राज्य में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्य सरकार के पास होगा, न कि एलजी के पास। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली और केंद्र सरकार की शक्तियां अलग-अलग हैं। दिल्ली सरकार की शक्तियां भले कम है, लेकिन केन्द्र सरकार को उसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि राज्यों के अधिकारों को केंद्र टेकओवर न करे।
अपने आदेश में क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली को लेकर केंद्र के पास जमीन और कानून व्यवस्था के मामले, जबकि विधानसभा के पास कानून बनाने का अधिकार है। चूंकि अधिकारियों पर दिल्ली सरकार का कंट्रोल जरूरी है। इसलिए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार भी उसी के पास रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि NCTD एक्ट का अनुच्छेद 239 AA विधानसभा की शक्तियों की समुचित व्याख्या करता है। इसमें 3 विषयों को सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला केन्द्र सरकार को झटका
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि, यह मामला केवल सर्विसेज पर कंट्रोल का है। दिल्ली की पुलिस, जमीन और आर्डर पर केंद्र सरकार का नियंत्रण होगा, जबकि अन्य चीज़ें दिल्ली की निर्वाचित सरकार के अधीन होंगी। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि वह 2018 के जस्टिस भूषण के उस फैसले से वह सहमत नहीं है जिसमें दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की सारी शक्ति केंद्र सरकार को देने की बात कही थी।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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