वर्षों से भारत में महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ही तरजीह दी जाती रही है। हमेशा से पुरुषों को महिलाओं से ऊपर का दर्जा दिया जाता रहा है। परन्तु क्या आज भी ऐसा है। जवाब है, नहीं। आज महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। आज देश की बेटियां पुरुषों को हर क्षेत्र में पीछे छोड़ रही हैं। चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो। यहां तक कि खेल के मैदान में भी महिलाओं का बोलबाला है। यही कारण है कि आज टोक्यो ओलम्पिक पहुंची महिला एथलीटों से पुरुषों के मुकाबले ज्यादा पदकों की उम्मीद की जा रही है।
कर्णम मल्लेश्वरी, सानिया मिर्ज़ा, सायना नेहवाल, पी.वी सिंधु, मैरी कॉम ये वो नाम है जिन्होंने समाज सोच को पीछे छोड़ते हुए विश्व में भारत का परचम लहराया है। ये वे महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने-अपने खेलों में भारत को उन खेलों का पहला ओलिंपिक पदक दिलाया है।
इस बार भी टोक्यो ओलंपिक में भारत की 4 ऐसी महिला खिलाड़ी हैं जिनपर सबकी नज़रें टिकी हैं और जिनसे भारत को काफी उमीदें हैं।
दीपिका कुमारी
झारखंड की ‘गोल्डन गर्ल’ कही जाने वाली तीरंदाज दीपिका कुमारी भी इस वक़्त टोक्यो ओलंपिक में अपना प्रदर्शन जारी रखे हुए ह । दीपिका 2015 में World Championship में रजत पदक अपने नाम कर इतिहास रच चुकी हैं। इसके अलावा 2010 Commonwealth Games में स्वर्ण और 2010 Asian Games में कांस्य पदक भी जीत चुकी हैं। दीपिका को 2012 में अर्जुन अवार्ड व 2016 में पद्मश्री अवार्ड से भी नवाज़ा जा चुका है।
मनिका बत्रा
मनिका बत्रा भारतीय महिला टेबल टेनिस की सबसे बड़ी खिलाड़ी हैं। ये अपने खेल के साथ ही अपनी खूबसूरती के लिए भी काफी प्रसिद्ध हैं। इन्होंने 2018 Commonwealth Games में टेबल टेनिस महिला सिंगल्स फाइनल में सिंगापुर की मियांग यू (Yu Mengyu) को हराकर स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया था। मनिका बत्रा ने 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में तीन स्वर्ण पदक जीते थे।
विनेश फोगाट
गीता और बबिता फोगाट की चचेरी बहन विनेश फोगाट ने 2018 में गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में 50 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया था और जकार्ता एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनी। 2020 में रोम में एक रैंकिंग स्पर्धा में विनेश ने स्वर्ण पदक जीता। भारत सरकार ने कुश्ती में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए अर्जुन पुरस्कारऔर 2020 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया है।
पी.वी. सिंधु
भारत के हैदराबाद शहर की मामूली-सी लड़की जब अपने मोहल्ले की गलियों में बैडमिंटन खेला करती थी तब किसी ने यह नहीं सोचा था कि वह एक दिन वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में लगातार दो मेडल जीतकर इतिहास रच देगी और ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय बनीं। इनको सम्मानित करते हुए भारत सरकार ने पद्मश्री, द यूथ हाईएस्ट सिविलियन अवार्ड ऑफ़ इंडिया, अर्जुन अवार्ड और राजीव गांधी खेलरत्न से नवाज़ा था।
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