25 जुलाई, रविवार से भगवान शिव का पावन महीना शुरू हो गया है। आज सावन का पहला सोमवार है। हिन्दू संस्कृति में सावन के महीने में सोमवार का विशेष महत्व होता है। श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर विशेष वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। बताते चलें कि इस बार सावन में कुल 4 सोमवार पड़ रहे हैं और प्रत्येक सोमवार का अपना अलग महत्व है। सावन के इस महीने में पड़ने वाले सोमवार को भगवान शिव की आराधना कैसे करें। आज हम यहां आपको सावन के पहले सोमवार को की जाने वाली पूजा की विधि और अभिषेक के लाभ के बारे में बताएंगे। इसके साथ ही आपको बताएंगे कि कौन-से कार्य की सिद्धि के लिए कौन-से शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। बता दें कि हमारे हिन्दू-शास्त्रों में अलग-अलग इच्छा-पूर्ति के लिए अलग-अलग शिवलिंग की पूजा-अर्चना का विधान बताया गया है।
हिन्दू धर्म में सावन मास का महत्व
हिन्दू धर्म-शास्त्रों में सावन मास के महत्व का जिक्र मिलता है। पावन श्रावण मास में भगवान शिव और उनके परिवार की विधिपूर्वक पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत ही फलदायी होता है, इसलिए सावन में लोग रुद्राभिषेक कराते हैं। महादेव की आराधना के लिए सावन का माह सबसे उत्तम माह माना गया है।
अपनी मनोकामना के अनुसार करें शिवलिंग की पूजा
-पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से सभी कार्यों की सिद्धि होती है।
-प्रेम की प्राप्ति के लिए गुड़ के शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
-सर्वसुख की प्राप्ति के लिए भस्म से बने शिवलिंग की पूजा करें।
-दाम्पत्य सुख और संतान की प्राप्ति के लिए जौ, चावल या आटे के शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए।
-ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए दही से बने शिवलिंग की आराधना करें।
-मोक्ष की प्राप्ति के लिए पीतल या कांसे के शिवलिंग की पूजा करें।
-शत्रु संहार के लिए सीसा के शिवलिंग की पूजा करें।
-अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष के लिए पारे के शिवलिंग की पूजा करें।
महादेव की आराधना में रखे कुछ बातों का ख्याल।
सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठे और भगवान शिव की आराधना करें। ध्यान रहे कि शिवलिंग के पूजन के लिए कभी भी दक्षिण दिशा में न बैठें।
शिवलिंग के अभिषेक से मिलने वाले लाभ
-दूध से अभिषेक करने पर परिवार में कलह, मानसिक पीड़ा में शांति मिलती है।
-घी से अभिषेक करने पर वंशवृद्धि होती है।
-इत्र से अभिषेक करने पर भौतिक-सुखों की प्राप्ति होती है।
-जलधारा से अभिषेक करने पर मानसिक शांति मिलती है।
-शहद से अभिषेक करने पर परिवार में बीमारियों का अधिक प्रकोप नहीं रहता।
-गन्ने के रस की धारा डालते हुए अभिषेक करने से आर्थिक समृद्धि व परिवार में सुखद माहौल बना रहता है।
-गंगा जल से अभिषेक करने पर चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है।
-अभिषेक करते समय महामृत्युंजय का जाप करने से फल की प्राप्ति कई गुना अधिक हो जाती है।
-सरसों के तेल से अभिषेक करने से शत्रुओं का शमन होता है।
-बिल्वपत्र चढ़ाने से जन्मान्तर के पापों व रोग से मुक्ति मिलती है।
-कमल पुष्प चढ़ाने से शांति व धन की प्राप्ति होती है।
-कुशा चढ़ाने से मुक्ति की प्राप्ति होती है।
-दूर्वा चढ़ाने से आयु में वृद्धि होती है।
-धतूरा अर्पित करने से पुत्र-रत्न की प्राप्ति व पुत्र का सुख मिलता है।
पूजा के अंत में शिव की आरती का महत्व
आरती करने से पूजा-अर्चना का पूरे फल की प्राप्ति होती है। आरती से पूजा पूर्ण मानी जाती है। आरती में कर्पूर का इस्तेमाल किया जाता है जिससे वातावरण शुद्ध होता है।
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