भारतीय नववर्ष की शुरुआत रविवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हो रही है। इसी के साथ विक्रम संवत् 2082 की शुरुआत हो जायेगी। नवसंवत्सर वह दिन है जिससे भारत वर्ष की कालगणना की शुरुआत मानी जाती है। हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी।
रविवार से हिंदू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है। इस वर्ष माता हाथी पर सवार होकर धरती पर आ रही है। मां दुर्गा जब हाथी पर सवार हो कर आती हैं तो इस सुख-समृद्धि का संकेत माना जाता है। इस संवत्सर 2082 का नाम ‘सिद्धार्थी’ होगा, जिसमें सूर्य देव राजा और मंत्री रहेंगे। इससे राजकीय सेवाओं और व्यापार में वृद्धि होगी, परंतु फलों और धान्य उत्पादन में कमी, अग्निभय, जनहानि, और स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। इस वर्ष शनि, बृहस्पति, राहु और केतु राशि परिवर्तन करेंगे, जिससे कई राशियों पर साढ़ेसाती और ढैया का प्रभाव पड़ेगा।
हिंदू वर्ष में चार ग्रहण होंगे—7 सितंबर को पूर्ण चंद्रग्रहण, 21 सितंबर को सूर्यग्रहण, 17 फरवरी को कंकणाकृति सूर्यग्रहण और 3 मार्च 2026 को चंद्रग्रहण।
चैत्र नवरात्रि में कब कर सकते हैं घट स्थापना?
चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना का विशेष विधान है। इस दिन से नौ दिन तक भक्त नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते हैं। नवरात्रि में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होगा और सुबह 10 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। घटस्थापना की कुल अवधि 50 मिनट की रहेगी। मान्यता है इन नौ दिनों माता की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना
- प्रथम दिन- कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है।
- दूसरा दिन- माता ब्रह्मचारिणी की आराधना।
- तीसरा दिन- माता चंद्रघंटा की पूजा।
- चौथा दिन- मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना।
- पांचवां दिन- माता स्कंदमाता की पूजा।
- छठा दिन- माता कात्यायनी की पूजा-अर्चना।
- सातवां दिन- माता कालरात्रि की पूजा-अर्चना।
- आठवां दिन- मां महागौरी की पूजा का विधान।
- नवां दिन- नवरात्रि का नौवां दिन माता सिद्धिदात्री का है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार