न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
यूक्रेन पर रूस के अटैक से कच्चे तेल में ‘आग’ भड़क उठी है। 8 साल के बाद एक बार फिर क्रूड ऑयल के भाव 110 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गये हैं। इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ना तय है। अनुमान है कि प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल की कीमतें 25 रुपये तक बढ़ सकती है। केन्द्र सरकार पांच राज्यों के चुनाव के बाद जनता को बड़ा झटका देने वाली है।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने दुनिया में एनर्जी संकट की चेतावनी दी है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से क्रूड ऑयल के भाव 2014 के बाद सबसे ऊंचाई पर पहुंच गये हैं। इससे आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम 25 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं.
150 डॉलर का भी आंकड़ा छू लेने का खतरा
ग्लोबल फर्म गोल्डमैन सैश, मॉर्गन स्टैनली और जेपी मॉर्गन ने आशंका जतायी है कि कच्चे की कीमतें 150 डॉलर प्रति बैरल को भी पार कर सकती हैं। बता दें, रूस ने अपने क्रूड के दाम रिकॉर्ड स्तर तक घटा दिए हैं, लेकिन अमेरिका और यूरोप की ओर से लगे प्रतिबंधों की वजह से कोई भी उसे खरीद नहीं रहा।
देश में 119 दिनों से स्थिर हैं ईंधन के दाम
देश में पिछले 119 दिनों से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है। हालांकि इसी दौरान कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से बढ़त हुई है और यह दो महीने के उच्चतम लेवल पर पहुंच गया है।
कीमतों पर लगाम के लिए क्या है प्लान?
कच्चे तेलों की संभावित बढ़ने वाली कीमतों ने जनता को ही परेशान नहीं कर रखा है, बल्कि केन्द्र सरकार के माथे पर भी बल पड़ गया है। इस संकट से उबरने के लिए वह रास्ते तलाशने लगी है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि महंगाई को काबू में करने के लिए सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर सकती है। केंद्र सरकार ने कोरोना की पहली लहर में दो बार में पेट्रोल-डीजल पर लगले वाली एक्साइज ड्यूटी में 15 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। केन्द्र सरकार के पास एक उपाय यह भी है कि वह अपने मित्र देश रूस से कच्चा तेल खरीद ले, क्योंकि रूस ने यूक्रेन संकट के बाद अपने यहां कच्चे तेल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर कम कर दी हैं। हालांकि इससे अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर असर पड़ने का खतरा है।
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