Ramzan Mubarak 2025 : इस्लामिक माह के मुताबिक शाबान (इस्लामिक माह) के बाद आने वाला महीना रमजानुल मुबारक (इस्लामिक माह) का महीना है. इस पूरे महीने मुसलमान रोजा रखते हैं. साथ ही बुरे काम से दूर रहकर पैगंबर मोहम्मद के बताए हुए रास्ते पर चलने की कोशिश करते हैं. इसे सभी माह से पवित्र माह माना जाता है. जिसकी शुरुआत 1 मार्च 2025 की देर शाम मगरीब (सूर्यास्त के समय) की नमाज के बाद नजर आने वाले चांद के बाद हो गई. जिसके बाद सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज का दौर भी शुरू हो गया. 2 मार्च से पहला रोजा शुरु हुआ.
पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी नागरिकों को शुभकामनाएं दी हैं. पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “रमजान का पवित्र महीना शुरू हो रहा है. यह हमारे समाज में शांति और सद्भाव लाए. यह पवित्र महीना चिंतन, कृतज्ञता और भक्ति का प्रतीक है, साथ ही हमें करुणा, दया और सेवा के मूल्यों की याद दिलाता है. रमजान मुबारक!”
As the blessed month of Ramzan begins, may it bring peace and harmony in our society. This sacred month epitomises reflection, gratitude and devotion, also reminding us of the values of compassion, kindness and service.
Ramzan Mubarak!
— Narendra Modi (@narendramodi) March 2, 2025
सीएम हेमंत सोरेन ने दी शुभकामनाएं
झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर पोस्ट कर शुभकामनाएं दी. मुख्यमंत्री ने लिखा- माहे रमजान की सभी को दिली मुबारकबाद। आप अभी स्वस्थ, सुखी और समृद्ध रहें, यही दुआ करता हूँ।
माहे रमजान की सभी को दिली मुबारकबाद।
आप अभी स्वस्थ, सुखी और समृद्ध रहें, यही दुआ करता हूँ। pic.twitter.com/OF8oHdJoTy— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) March 1, 2025
पूरे महीने रोजा रखेंगे अल्लाह के नेक बंदे
इस्लाम धर्म के अनुयायी ईद का चांद नजर आने तक रोजा रखे हैं. साथ ही इस महीने में मुसलमान अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी भी मांगते हैं. वैसे तो हर वयस्क मुसलमान पर सारे रोजे रखना फर्ज है, लेकिन कई मुसलमान पूरे 30 रोजे नहीं रख पाते हैं. वहीं कुछ मुसलमान विभिन्न कारणों के चलते एक भी रोजा नहीं रखते हैं.
रमजान में ही दुनिया में आया था कुरआन
इस्लाम धर्म में रमजान को सबसे पाक महीना माना गया है क्योंकि इसी महीने में इस्लाम धर्म की पवित्र किताब कुरान नाजिल हुई थी. इसलिए मुस्लिम रोजा रखते हैं, 5 वक्त की नमाज और नमाज तरावीह व कुरान पढ़ते हैं. गरीबों को जकात (दान) देते हैं. रोजा में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक बिना कुछ खाए-पिए रहना होता है. हालांकि कुरान में कुछ खास लोगों को रोजा रखने से छूट दी गई है. वैसे तो हर बालिग मुसलमान जो स्वस्थ हो उसे रोजा रखने की ताकीद की गई है. लेकिन बीमार व्यक्ति, बच्चों, गर्भवती महिलाओं को रोजा रखने से छूट दी गई है. ये पूरा महीना रहमत का दुआओं का महीना माना जाता है. इसलिए इस माह की क़द्र की जाती है
रविवार से पहला रोजा
शनिवार शाम को चांद नजर आने के बाद से ही ईशा की नमाज के बाद तरावीह की नमाज का सिलसिला शुरू हो गया. उसी रात के आखिरी हिस्से में सेहरी की गयी और रोजे रखे. रविवार शाम को मगरिब की नमाज से पहले रोजेदार अपना रोखा तोड़ेंगे. इस बार रोजा करीब 14 घंटे का रहेगा.
न्यूज़ डेस्क/ समाचार प्लस, झारखंड- बिहार
ये भी पढ़ें : चमोली हिमस्खलन में अब एक की तलाश जारी, 55 में से 50 मजदूर बचाये गये, 4 की मौत