कोर्ट में दलील देता रहा- ‘मैं तो गांधी के रास्तों पर चलने लगा था’
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
दिल्ली की पटिलायाअदालत ने आतंकी फंडिंग के मामले में दोषी करार जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनायी है। यासीन को तीन मामलों में उम्रकैद की सजा हुई जबकि 10 मामलों में उसे 10-10 साल की सजा सुनाई गयी है। ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। अदालत ने इसके उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यासीन को 19 मई को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत सभी आरोपों में उसे दोषी ठहराया है। यासीन मलिक को सजा सुनाये जाने के वक्त पटियाला हाउस कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गयी थी। पूरे कोर्ट परिसर को सुरक्षा घेरे में ले लिया गया था। एनआईए ने दोषी मलिक के लिए फांसी की सजा की मांग की थी। सभी पक्षों की आखिरी दलीलें सुनते हुए अदालत ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
यासीन मलिक कुबूल कर चुका है अपना गुनाह
यासीन मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अन्य गैरकानूनी गतिविधियों और कश्मीर में शांति भंग करने का आरोप लगाया गया था. उसने इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था. सुनवाई की आखिरी तारीख को उसने अदालत को बताया कि वह धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश), यूएपीए की धारा 20 (एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) समेत अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का मुकाबला नहीं करेगा। चाहे उसे कोई भी सजा मिले, भले ही उसे फांसी क्यों न हो जाये।
यासीन मलिक के अलावा फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, मोहम्मद यूसुफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवाल सहित कश्मीरी 20 अलगाववादी नेताओं के खिलाफ कोर्ट ने औपचारिक रूप से आरोप तय कर लिये थे।
सलाहुद्दीन और हाफिज सईद भगोड़ा घोषित
पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-ताइबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोप-पत्र दायर किया गया था, उन्हें इस मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है।
“अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे पासपोर्ट दिलवाया था…”
कोर्ट में बहस के दौरान यासीन मलिक ने कहा, ”बुरहान वानी के एनकाउंटर के 30 मिनट के अंदर ही मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। पीएम (तत्कालीन) अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे पासपोर्ट आवंटित किया और मुझे भारत ने व्याख्यान देने की अनुमति दी, क्योंकि मैं अपराधी नहीं था।‘
यासीन मलिक ने कोर्ट में यह भी कहा कि 1994 में हथियार छोड़ने के बाद मैंने महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पालन किया है और तब से मैं कश्मीर में अहिंसक राजनीति कर रहा हूं। कोर्ट रूम में यासीन ने कहा कि 28 सालों में अगर मैं कही आतंकी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं, अगर ऐसा साबित हो जाये तो मैं राजनीति से भी संन्यास ले लूंगा। फांसी मंजूर कर लूंगा। 7 पीएम के साथ मैंने काम किया है।
यासीन मलिक पर यूएपीए के तहत कई मामले
- धारा 16 आतंकवादी गतिविधि
- धारा 17 आतंकवादी गतिवधि के लिए धन जुटाना
- धारा 18 आतंकवादी कृत्य की साजिश रचना
- धारा 20 आतंकवादी समूह या संगठन का सदस्य होना
- आईपीसी धारा 120-बी आपराधिक साजिश
- धारा 124-ए देशद्रोह
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