HINDAUN CASE: करौली के हिंडौन (HINDAUN) थाना इलाके में सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के बयान दर्ज करने के दौरान उसके साथ प्रताड़ना मामले में संबंधित मजिस्ट्रेट के पक्ष में राजस्थान न्यायिक अधिकारी सेवा एसोसिएशन सामने आया है . राजस्थान न्यायिक सेवा अधिकारी संघ ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर एक मजिस्ट्रेट के खिलाफ हिंडौन (HINDAUN) सिटी पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को चुनौती दी, जिसमें कथित तौर पर एक लड़की को चोट दिखाने के लिए कपड़े उतारने के लिए कहा गया था. याचिका में दलील दी गई है कि राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अनुमति के बिना पुलिस किसी भी न्यायिक अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती, इसलिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
‘रिपोर्टिंग संवेदनशीलता से हो’
याचिका में मजिस्ट्रेट के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करवाने का आग्रह किया है. याचिका में संबंधित पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने, मीडिया को जजेज के निजी कानूनी केसों की रिपोर्टिंग संवेदनशीलता से करने और मजिस्ट्रेट को सुरक्षा मुहैया कराए जाने का भी आग्रह किया गया है. याचिका में कहा गया है कि जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले संबंधित हाईकोर्ट के सीजे से मंजूरी लेना जरूरी होता है, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने इस कानूनी प्रावधान की अवहेलना करते हुए सीधे तौर पर ही जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली.
क्या है मामला
दरअसल, सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता ने थाने में केस दर्ज कराया था. उसके बाद 30 मार्च को मुंसिफ कोर्ट में 164 के बयान देने अपने परिजनों के साथ पहुंची. परिजन और महिला पुलिसकर्मी बाहर ही रहे.. आरोप है कि मजिस्ट्रेट ने उसे चेंबर में बुलाकर बयान लेने के बाद उसे रोका और कपड़े खोल शरीर पर चोटें के निशान देखने की बात कही. पीड़िता के द्वारा बिना महिला पुलिसकर्मी के कपड़े खोलने पर एतराज जताया जिसके बाद उसे बाहर भेज दिया गया. फिर पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक हिंडौन (HINDAUN) सिटी के समक्ष उपस्थित होकर जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई.
न्यूज़ डेस्क/ समाचार प्लस, झारखंड – बिहार
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