Vasant Navratri: अपनी मंद हंसी से मां कूष्मांडा की थी सृष्टि की रचना
चतुर्थ कूष्मांडा सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे…
चतुर्थ कूष्मांडा सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे…