झारखंड ही नहीं देश की स्वास्थ्य व्यवस्था अब जांच के घेरे में, सर्वे में बड़ा खुलासा 80 प्रतिशत तक घटिया हैं स्वास्थ्य सुविधाएं

हम और आप स्वस्थ रहेंगे तो देश में सेहतमंद रहेगा. लेकिन हाल के दिनों में ही देश की स्वास्थ्य सुविधाओं के लेकर जिस तरह की बात सामने आ रही हैं और भारत सरकार के सर्वे को माना जाए तो देश में 80 प्रतिशत तक स्वास्थ्य सुविधाएं घटिया स्तर की हैं. झारखण्ड में भी लगभग यही स्थित है. आलम तो ये है कि हाई कोर्ट आये दिन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर टिप्पणी करता रहा है. जेनेटिक प्राइवेट हॉस्पिटल में प्रसूता महिला को बंधक बनाने का मामला हो या फिर राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस करने का. ऐसे उधाह्रानों ने झारखंड के साथ-साथ देश की स्वास्थ्य सुविधाओं पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है.

प्राइवेट अस्पताल ने महिला को बनाया था बंधक  

रांची के जेनेटिक निजी अस्पताल, बरियातू में प्रसूता महिला को बंधक बनाने के मामले में हाईकोर्ट के बाद स्वास्थ्य मंत्री बन्ना भी एक्शन मोड में आ गये हैं। मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को 3 दिनों के अंदर विभागीय कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा हैं। कहा है कि ऐसे अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई होगी। मंत्री ने इस आशय का पत्र प्रधान सचिव को प्रेषित किया है। बता दें कि प्रसूता महिला को उसके बच्चे से अलग लगभग एक महीने तक निजी अस्पताल में बंधक बनाकर रखा गया। हालांकि महिला को छोड़ दिया गया है, लेकिन अस्पताल का कठोर रवैया सुर्खियों में बना हुआ है।

हाईकोर्ट ने इस मामले पर लिया संज्ञान 

महिला का नाम सुनीता है। गरीब सुनीता को पूरे 1 महीने तक जेनेटिक हॉस्पिटल में बंधक बनाये रखा। एक नवजात को उसकी मां से एक महीने तक दूर रखने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता ले लिया है। कोर्ट ने कल 28 जून को मामले में संज्ञान लेते हुए प्रधान सचिव से जवाब मांगा है। कोर्ट ने मामले में रांची सिविल सर्जन को उक्त अस्पताल के रजिस्ट्रेशन की जांच करने का निर्देश दिया है। कोर्ट में मौजूद स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने आश्वस्त किया कि जांच कर जेनेटिक अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य मंत्री बनना गुप्ता ने किया पोस्ट 

treatment facility in rims ranchi is not improving

सर्वे में 80 प्रतिशत तक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं तय मानकों के मुताबिक नहीं

देश में करीब 80% सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं तय मानकों के मुताबिक नहीं हैं. ये चौंकाने वाला खुलासा केंद्र सरकार की ओर से किए गए एक सेल्फ असेसमेंट एक्सरसाइज में हुआ है. इस एक्ससाइज में नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के तहत आने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जानकारी मांगी गई थी. केंद्र की ओर से पब्लिक हेल्थ फैसिलिटी के तहत उनके पास मौजूद डॉक्टरों, नर्सों या बेसिक मेडिकल इक्यूप्मेंट्स की डिटेल भरने को कहा गया था.

अब केंद्र सरकार का टारगेट 100 दिनों के अंदर 70 हजार फैसिलिटी को मानक के योग्य बनाना है. इसके लिए केंद्र सरकार की टीम औचक निरीक्षण करेगा. स्वास्थ्य सुविधाओं पर नेशनल हेल्थ मिशन 60% जबकि राज्य सरकारें बाकी का 40 परसेंट लागत वहन करती हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, सब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर्स, प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स और आयुष्मान आरोग्य मंदिर (पहले सब हेल्थ सेंटर) समेत 2 लाख से अधिक पब्लिक हेल्थ फैसिलिटी नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत आती हैं. इनमें से इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड्स (IPHS) डैशबोर्ड पर सरकार की ओर से शेयर किए गए डेटा से पता चलता है कि 40 हजार 451 ने स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मांगी गई जानकारी दी.

जब डेटा के आधार पर स्कोरिंग की गई, तो ये पता चला कि केवल 8 हजार 089 यानी लगभग 20% फैसिलिटी ने 80% या उससे अधिक का स्कोर किया, जो IPHS के मानक के लिए जरूरी है. इसके अलावा, सेल्फ असेसमेंट एक्सरसाइज में पार्टिसिपेट करने वाली कुल 17 हजार 190 यानी 42% फैसिलिटी ने 50% से कम स्कोर किया, जबकि बाकी 15 हजार 172 फैसिलिटी ने 50 से 80% के बीच स्कोर किया. ये डिटेल पब्लिक डोमेन में शेयर किए गए हैं.

केन्‍द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. मनसुख मांडविया ने 'लंबित  मामलों के निपटान के लिए विशेष अभियान' (एससीडीपीएम 2.0) के तहत कार्य की  प्रगति और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों की समीक्षा की

डेटा को लेकर क्या बोला स्वास्थ्य मंत्रालय?

डेटा को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि सेल्फ असेसमेंट और इसकी रियल टाइम निगरानी ये सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई है कि स्वास्थ्य सुविधाएं बुनियादी ढांचे, उपकरण और मानव संसाधनों के आवश्यक मानकों को बनाए रखें. एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार का लक्ष्य नई सरकार के गठन के पहले 100 दिनों के भीतर 70,000 स्वास्थ्य संस्थानों को IPHS के अनुरूप बनाना है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि इस सेल्फ असेसमेंट एक्सरसाइज का उद्देश्य कमियों की पहचान करना था, ताकि ताकि जनता को दी जाने वाली सेवा की गुणवत्ता में सुधार हो सके. उन्होंने कहा कि ये पहला कदम है. अधिकारी ने कहा कि जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए NQAS (National Quality Assurance Standards) मूल्यांकन शारीरिक रूप से किया जाना जारी रहेगा. अधिकारी ने कहा कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर के लिए वर्चुअल मूल्यांकन का एक नया प्रावधान पेश किया है, जो नेशनल हेल्थ मिशन के तहत सबसे अधिक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का गठन करता है.

एक नजर में हेल्थ रिपोर्ट कार्ड

भारत में स्वास्थ्य सुविधाएं: 2,00,988
जिला अस्पताल: 767
उप-जिला अस्पताल: 1,275
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र: 6,064
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र: 31,053
उप-स्वास्थ्य केंद्र: 1,61,829

 

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