Special State Status : क्या है स्पेशल पैकेज और विशेष राज्य का दर्जा, बिहार-आंध्र को ये मिला तो क्या फायदा होगा?

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Special State Status : बजट सत्र से ठीक पहले विशेष राज्य दर्जा दिलाने की आवाज उठने लगी  है. 22 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले  सर्वदलीय बैठक बुलाई गई. इसमें  जदयू, वाईएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल ने क्रमशः बिहार, आंध्र प्रदेश और ओडिशा को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की.  इसके साथ ही ‘विशेष राज्य’ और ‘विशेष श्रेणी के राज्य’ की चर्चा सुर्ख़ियों में हैं . हालांकि  सुनने में एक जैसे लगने वाले इन शब्दों में अंतर  है.

1969 में विशेष श्रेणी का दर्जा देने का प्रावधान बना

विशेष श्रेणी का दर्जा  किसी राज्य को उसके पिछड़ेपन की स्थिति से उबारने और उसके विकास के लिए दिया जाता है.  विशेषकर सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े और दुर्गम इलाके वाले राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया जाता है,   हालांकि भारत के संविधान में किसी राज्य को विशेष श्रेणी (Special State Status) का दर्जा देने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन साल 1969 में पांचवें वित्त आयोग की सिफारिश पर विशेष श्रेणी का दर्जा देने का प्रावधान बनाया गया था. इस श्रेणी में इस प्रावधान से पहले जम्मू और कश्मीर को विशिष्ट दर्जा मिला. हालांकि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद अब वो एक केंद्र शासित प्रदेश है.

राज्य को खास छूट के साथ ही खास अनुदान भी मिलता है

आर्टिकल 371 के जरिए राज्यों के लिए विशेष प्रावधान (Special State Status) कर विकास की मुख्य धारा में लाया  जाता है. विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर किसी राज्य को खास छूट के साथ ही खास अनुदान भी मिलता है. इनके अलावा विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर वहां चलने वाली केंद्रीय योजनाओं में केंद्र सरकार की भागीदारी बढ़ जाती है. राज्य के उद्योगों को कर में राहत मिलती है, जिनमें एक्साइज और कस्टम ड्यूटी भी शामिल हैं. केंद्र सरकार की ओर से इन राज्यों के लिए विशेष पैकेज तैयार किए जाते हैं, जिससे वहां विकास को गति मिल सके. इसमें केंद्र सरकार विशेष राज्य को जो धनराशि देती है, उसमें 90 फीसदी अनुदान होता है. केवल 10 फीसदी राशि ही इन राज्यों को कर्ज के रूप में दी जाती है. इस 10 फीसदी राशि पर भी ब्याज नहीं लगता है.

आंध्र प्रदेश और बिहार को मिल सकता है विशेष पैकेज 

अब अगर आंध्र प्रदेश और बिहार के लिए टीडीपी और जदयू विशेष राज्य के दर्जे की मांग तेज कर देते हैं  तो केंद्र सरकार अपने आगामी बजट में इनके लिए विशेष पैकेज का ऐलान कर सकती है.  यह विशेष पैकेज एक लाख करोड़ रुपये तक का हो सकता है. हालांकि, यह राशि एकमुश्त नहीं, बल्कि साल भर में अलग-अलग किस्तों में जारी की जा सकती है.

11 राज्यों को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा

इसके बाद पूर्वोत्तर के असम और नगालैंड ऐसे पहले राज्य थे. जिन्हें 1969 में विशेष दर्जा दिया गया था. बाद में हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना सहित ग्यारह राज्यों को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा दिया गया.  विशेष श्रेणी और  विशेष  राज्य की बात करें तो  दोनों के दर्जे  अलग अलग हैं. विशेष दर्जा. जहां विधायी और राजनीतिक अधिकारों को बढ़ाता है,  तो वहीँ स्पेशल स्टेटस स्टेट केवल आर्थिक और वित्तीय पहलुओं से जुड़ा होता है.

सियासी हित साधने का भी मिलता है मौका 

फिलहाल विशेष राज्य के दर्जे को लेकर देश की कई राज्य सरकार लगातार केंद्र सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं. बिहार के अलावा चार और राज्य हैं.  जो लगातार केंद्र सरकार से अपने राज्य को विशेष राज्य के दर्जे (Special State Status) की मांग कर रही है. आन्ध्र प्रदेश, राजस्थान, गोवा ,ओडिशा की सरकार लगातार केंद्र सरकार से अपने राज्य को विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते रहे हैं . हालांकि विशेष राज्य के दर्जे को लेकर राजनीतिक दलों को अपने सियासी हित साधने का भी मौका मिल जाता है .

न्यूज़ डेस्क / समाचार प्लस, झारखंड- बिहार 

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