हार की आशंका बड़ी चीज है, तभी सोनिया गांधी जैसी दिग्गज कांग्रेस नेता को अपना दुर्भेद्य गढ़ रायबरेली छोड़कर ऐसा ठिकाना ढूंढना पड़ा ताकि वह संसद की सीढ़ियों तक पहुंच सकें। जी हां, अब कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी रायबरेली से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। इस बार वह राजस्थान के रास्ते राजस्थान जायेंगी। सोनिया गांधी ने बुधवार को पुत्र राहुल गांधी और पुत्री प्रियंका गांधी की उपस्थिति में राज्यसभा चुनाव का पर्चा भर दिया है। राजस्थान में तीन सीटों के लिए राज्यसभा का चुनाव हो रहा है। भाजपा, कांग्रेस, निर्दलीय और अन्य दलों के प्रत्याशियों की संख्या के हिसाब से राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के दो और कांग्रेस के एक प्रत्याशी की जीत तय मानी जा रही है। प्रत्याशियों की संख्या तीन से ज्यादा हुई तो मतदान होगा, अन्यथा तीनों प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो जाएंगे। राज्यसभा चुनाव के लिए भाजपा ने राजस्थान से चुन्नीलाल गरासिया और मदन राठौड़ को उम्मीदवार बनाया है। राज्यसभा की तीन सीटों के लिए राजस्थान विधानसभा में 27 फरवरी को मतदान होना है।
बड़ा सवाल सुरक्षित सीट से क्यों नहीं लड़ा लोकसभा चुनाव?
सोनिया गांधी को ही नहीं, बल्कि कांग्रेस को भी यह आशंका है कि उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट सोनिया गांधी के लिए सुरक्षित नहीं रहेगी। पिछले साल राहुल गांधी भी अमेठी की कांग्रेस की सुरक्षित सीट गंवा चुके हैं। लेकिन ऐसा नहीं कि कांग्रेस कहीं से जीतेगी ही नहीं, देश में कई राज्यों की सीटें कांग्रेस के लिए बेहद सुरक्षित हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना की सुरक्षित सीटों से सोनिया गांधी को चुनाव लड़ाने की पेशकर कर चुके थे। तेलंगाना की एक सीट है मेडक। इस सीट से इंदिरा गांधी भी चुनाव लड़ चुकी हैं। इस सीट से भी सोनिया गांधी के चुनाव लड़ने की अटकलें पहले भी लगायी जा चुकी थीं। इतना होने के बावजूद सोनिया गांधी ने संसद तक पहुंचने का सुरक्षित रास्ता ही चुना।
यहां यह भी बताना जरूरी है कि एक चर्चा यह भी राजनीतिक हलकों में थी कि रायबरेली से उनकी जगह प्रियंका गांधी वाड्रा के लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। लेकिन प्रियंका गांधी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है।
रायबरेली और सोनिया गांधी
समझा जा रहा है कि रायबरेली में लगातार वोट प्रतिशत कम होने और लोकसभा के चुनाव में खुद के हारने का खतरा देखते हुए सोनिया गांधी ने संसद में सुरक्षित एंट्री की खातिर राज्यसभा का रास्ता चुना है। रायबरेली सीट से सोनिया गांधी चार बार लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हैं। पहली बार सोनिया गांधी 2004 में रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ी थीं। इस चुनाव में उन्हें 80.49 फीसदी वोट मिले थे। दूसरी बार जब 2009 का लोकसभा चुनाव जीतीं तो उनका वोट प्रतिशत घटकर 72.23 फीसदी हो गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी रायबरेली सीट चुनाव तो जीतीं, इस बार उनका वोट प्रतिशत 63.80 हो गया। 2019 में सोनिया गांधी को रायबरेली के 55 फीसदी वोटरों ने ही अपना मत दिया। अगर देखा जाये तो चारों बार मिले वोट प्रतिशत किसी भी मायने में कम नहीं या कमजोर नहीं कहे जा सकते। पहले दो बार उन्होंने जो चुनाव जीता, तब देश में कांग्रेस की आंधी थी। उसके बाद कांग्रेस का प्रभाव देश में कम होने लगा। फिर भी 60 प्रतिशत या 55 प्रतिशत वोट देश के किसी भी सीट पर एक बहुत बड़ा वोट प्रतिशत है। वरना आजकल की जो राजनीतिक स्थिति है और वोटों का जिस तरह से बंटवारा होता है, उसमें तो नेता 30-35 प्रतिशत वोट लाकर ही चुनाव जीत जाते हैं।
राज्यसभा जाने की और है कोई वजह?
इतना तो यह है कि सोनिया गांधी किसी दूसरी जगह से चुनाव लड़कर लोकसभा जा सकती थीं। शायद रायबरेली छोड़कर दूसरी जगह चुनाव नहीं लड़ने की वजह यह हो सकती है कि यह सोनिया गांधी की प्रतिष्ठा का सवाल है। यह तो एक वजह हो सकती है, दूसरी एक वजह यह भी हो सकती है कि कांग्रेस यह चाहती हो कि राहुल गांधी लोकसभा का मोर्चा सम्भालें और सोनिया गांधी राज्यसभा के मोर्चे पर रहें।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
यह भी पढ़ें: राहुल गांधी की न्याय यात्रा ‘भंग’! राहुल के लिए देश ज्यादा जरूरी या मुट्ठी भर किसान?