Smart Meter Jharkhand: रांची में बिजली उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए समय पर देरी और अनियमित बिल भुगतान की समस्या से निजात दिलाने के लिए स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे हैं. शहर में साढ़े तीन लाख स्मार्ट मीटर लगेंगे. बताते चलें अभी तक दस लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए भी जा चुके हैं. लेकिन स्मार्ट मीटर लगने के बाद भी ग्राहकों को राहत तो है लेकिन साथ ही समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है. सरकार द्वारा शहर में स्मार्ट मीटर लगाने का काम मेसर्स जेनस नाम की कंपनी को सौंपी गई थी.
आनन-फ़ानन में स्मार्ट मीटर तो लग जाते हैं, लेकिन चार-पांच महीने तक बिजली का बिल नहीं आता. इसी वजह से लोगों की परेशानी बढ़ गई है. हरमू, अशोक नगर, मेन रोड, हटिया, हिनू, डोरंडा, रातू रोड, पिस्का मोड, हिंदपीढ़ी में बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को बिजली नहीं मिल रही है. जिन इलाकों में स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, वहां स्थिति ऐसी है कि दस में से केवल पांच घरों में ही तीन से चार महीने में एक बार भी बिजली का बिल आता है. बिजली बिल के रूप में बड़ी रकम का तुरंत भुगतान कर पाना कई परिवारों के लिए मुसीबत खड़ी कर रही है.
जाने Smart Meter क्या है?
यह एक नियमित मीटर की तरह ही है, लेकिन एक अंतर्निहित चिप के साथ. ये वास्तविक समय में बिजली खपत दिखाती है. साथ ही आप देख सकते हैं कि लोड क्या है, आपके यूनिट की स्पीड क्या है.
प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने के बाद ग्राहकों को मीटर को मोबाइल फोन की तरह चार्ज करना होगा. लेकिन रांची में अब तक इसकी पूरी तरह से शुरुआत नहीं हो पायी है. इसने तेजी से पड़ोसी राज्य बिहार में जड़ें जमा लीं.
एक रिपोर्ट में रांची जोनल प्रबंध निदेशक पी.के. श्रीवास्तव ने बताया कि राज्य भर में अभी तक लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं. प्रीपेड सिस्टम के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने पर भी काम किया जा रहा है. मीटर लगाने में दिक्कत की शिकायत विभाग के व्हाट्सएप नंबर 94311-34682 पर की जा सकती है.
मीटरों की खरीद पर किये गये 14.85 करोड़ रुपये खर्च
यहां सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि मीटर की खरीद पर 14.85 करोड़ रुपये खर्च किये गये. 400 करोड़ की निवेश के साथ 5 फर्म एचपीएल इलेक्ट्रिक एंड पॉवर लिमिटेड नई दिल्ली, जीनस पॉवर इंफ्रा. लि., लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड, लैंडिस गीयर लि. कोलकाता व सिक्योर मीटर लि. को Smart Meter लगाने का जिम्मा सौंपा गया था. बोली में 905 रु. प्रति मीटर की न्यूनतम दर स्वीकृत की गई. एक फर्म, जिसने पिछली बोली में 732 रु. की दर से आपूर्ति की थी, उसने इस मुद्दे को उठाया. लेकिन, 905 रु. पर ही क्रय आदेश जारी कर दिया गया. उच्च दर पर 9,28,071 मीटर की खरीद पर 14.85 करोड़ अधिक खर्च हुआ. स्मार्ट मीटर को लेकर आपका क्या सोचना है? शेयर करें समाचार प्लस से.
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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