Adani Group: हिडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडाणी ग्रुप के बुरे दिन चल रहे हैं। दुनिया के दूसरे स्थान तक कभी पहुंचे अडाणी अमीरों की सूची में आज 15वें नंबर पर खिसक गए हैं। दिन-ब-दिन अडाणी ग्रुप अमीरी की पायदान से नीचे गिरता तो जा ही रहा है, साथ ही उसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं। आलम यह कि केन्द्र सरकार और सरकारी एजेंसियां तो अडाणी ग्रुप के पीछे पड़ी ही हुई हैं, विपक्ष भी सरकार को घेरकर अडाणी ग्रुप के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। हिडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद सरकार अडाणी ग्रुप पर नजर तो रख ही रही है, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) बड़े बकायेदारों के पिछले अनुभवों को देखते हुए सचेत हैं। खबर है कि RBI ने सभी बैंकों से अडाणी ग्रुप को दिये गये कर्जे की जानकारी मांगी है। यही नहीं, SEBI ने भी अडाणी ग्रुप पर अपनी पैनी निगाहें जमा दी हैं। फिर भी, सरकार की कार्रवाइयों के बावजूद इसी मुद्दे पर विपक्ष का संसद में बवाल मचा हुआ है। बजट सत्र के दूसरे दिन संसद में गुरुवार को दोनों सदनों में अडाणी का मामला उठा।
संसद के दोनों सदनों में चर्चा की मांग
संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष अडाणी के मसले पर लाल है। दोनों सदनों में चर्चा की मांग पर विपक्ष अड़ गया। सरकार के खिलाफ नारेबाजी होने लगी। लोकसभा और राज्यसभा में कार्यवाही इसी वजह से रोकनी पड़ गई। आज की सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने राज्यसभा में नोटिस दिया था।
2 लाख करोड़ के कर्ज को लेकर विपक्ष की चिंता
अडाणी ग्रुप पर सरकारी बैंकों का 2 लाख करोड़ का कर्ज है, विपक्ष का यह कहना है कि अगर वह कर्ज न चुका पाया, तो सरकारी बैंक धराशायी हो जाएंगे। हालांकि अडाणी ग्रुप ने स्पष्टीकरण दिया है कि बैंकों के जितने कर्ज का प्रचार किया जा रहा है, उतना है नहीं। फिर भी यह कर्ज सुरक्षित हैं क्योंकि ये सभी कर्ज प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर लिए गए हैं। इस संकट के बीच अडाणी ग्रुप ने एफपीओ रद्द करने के फैसला लेते हुए निवेशकों के 20 हजार करोड़ रुपये वापस करने का फैसला लिया है। इतना ही नहीं, बाकायदा वीडियो जारी कर कहा है कि निवेशकों का हित उनकी पहली प्राथमिकता है।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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