झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य में री-एडमिशन के नाम पर फीस वसूली करने वाले स्कूलों की खैर नहीं है। शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन बजट सत्र के दौरान हजारीबाग से बीजेपी विधायक प्रदीप प्रसाद के सवाल का जवाब दे रहे थे। विधायक प्रदीप प्रसाद ने राज्य के निजी स्कूलों में फीस की असमानता का मुद्दा उठाया। भाजपा विधायक ने पूछा कि सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC), सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड द्वारा संचालित निजी स्कूलों में फीस अलग-अलग क्यों होती है और क्या इसे समान करने की जरूरत नहीं है।
इसके जवाब में शिक्षा मंत्री ने रामदास सोरेन ने कहा कि निजी स्कूलों की फीस तय करने की स्वतंत्रता होती है लेकिन यदि किसी स्कूल में गड़बड़ी पायी जाती है तो जिला स्तर पर बनाई गई समिति उस पर कार्रवाई कर सकती है। मंत्री ने बताया कि इस समिति के पास ₹50 हजार से ₹2.5 लाख तक का जुर्माना लगाने का अधिकार है और यदि स्कूल जुर्माना नहीं देता तो सरकार कानूनी कार्रवाई करेगी।
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी और नवीन जायसवाल ने भी मुद्दा उठाया
झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को लेकर नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी सदन में न्यायाधिकरण की बैठकों में सक्रियता की कमी पर चिंता जताते हुए सुझाव दिया कि विधायकों को सभी मुद्दों पर पूरी जानकारी दी जाए, ताकि वे सही तरीके से सवाल उठा सकें।
वहीं, विधायक नवीन जयसवाल ने प्राइवेट स्कूलों में हर साल री-एडमिशन के नाम पर पैसे लेने पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह प्रथा पूरी तरह से अनुचित है और सरकार को इस पर सख्त कदम उठाना चाहिए। इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा, अगर किसी प्राइवेट स्कूल में री-एडमिशन के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं, तो उसकी शिकायत कीजिए हम कार्रवाई करेंगे।
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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