Sarhul Procession Ranchi रांचीः प्रकृति पर्व सरहुल (Sarhul) को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। इस बार काफी धूमधाम से सरहुल जुलूस (Sarhul Procession Ranchi) निकाले जाएंगे, इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। जुलूस में हजारों की संख्या में लोग शामिल होंगे। जुलूस रांची स्थित सिरम टोली स्थित सरना स्थल पहुंचेगा। सरहुल शोभायात्रा के मद्देनजर राज्य के कई हिस्सों में विद्युत आपूर्ति बाधित रहेगी।
2 बजे से जुलूस की वापसी तक कई क्षेत्रों में बिजली बाधित रहेगी
रांची में 2 बजे से जुलूस की वापसी तक कई क्षेत्रों में बिजली बाधित रहेगी। सरहुल जुलूस में कोई हादसा ना हो, इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से बिजली आपूर्ति बाधित कर दी जाती है। निगम के अभियंताओं को निर्देश है कि जरूरत के अनुसार ही पावर कट की जाए। मेन रोड, लालपुर, हरमू, बरियातू, रातू रोड, अरगोड़ा, सिरम टोली, बहुबाजार, अपर बाजार, कोकर, मोरहाबादी इलाके में जुलूस के दौरान बिजली आपूर्ति बाधित रहने की संभावना है।
कई रास्तों पर वाहनों के प्रवेश पर रोक
रांची में सरहुल शोभायात्रा के मद्देनजर कई वाहनों के प्रवेश पर रोक रहेगी। प्रशासन द्वारा निर्धारित रूट में जुलूस में शामिल वाहनों का प्रवेश होगा। सामान्य वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक है। एमजी रोड, रेडियम रोड, क्लब रोड सहित अन्य रूट में जुलूस में शामिल वाहनों को छोड़कर सामान्य वाहनों के प्रवेश पर रोक है। हजारीबाग, जमशेदपुर, लोहरदगा और गुमला रूट के वाहनों का आवागमन रिंग रोड से होकर होगा। डीसी और एसएसपी ने संयुक्तादेश जारी करते हुए सरहुल के दौरान सुरक्षा-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 60 मजिस्ट्रेट और 300 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया है। सभी थाना क्षेत्रों में 10 गश्ती दलों को तैनात किया गया है।

सरहुल पर्व का महत्व
आदिवासियों का यह प्रमुख त्योहार हर साल चैत्र महीने की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व में साल और सखुआ के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही धूमधाम से सरहुल जुलूस निकाला जाता है। इस पर्व में पेड़ों में आने वाले नए फूल का स्वागत किया जाता है। आदिवासी इसी दिन से नए साल का शुभारम्भ करते हैं। साथ ही खेती की शुरुआत भी इसी पर्व के सम्पन्न होने के बाद की जाती है।सरहुल पर्व के दौरान ग्राम देवता की पूजा होती है और कामना की जाती है कि आने वाला साल खुशियों भरा हो। पूजा के दौरान सरना स्थल पर मिट्टी के बर्तन में पानी रखा जाता है। जिसके स्तर को देखने के बाद पाहन आने वाले साल के मौसम के बारे में भविष्यवाणी करते हैं। पूजा खत्म होने के अगले दिन फूलखोंसी होती है। जिसमें समाज में सौहार्द्र बने रहने की कामना की जाती है।
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