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Santal Pargana Bandh: 1अप्रैल को बंद रहेगा संताल परगना, छात्र समन्वय समिति का ऐलान

दुमका से आगस्टीन हेम्ब्रम

Santal Pargana Bandh: संताल परगना महाविद्यालय दुमका में प्रेस कॉन्फ्रेंस कार्यक्रम आयोजन किया गया। छात्र समन्वय समिति ने कहा कि आगामी 31मार्च 2023 मशाल जुलूस सिदो कान्हू चौक से शुरु होकर पूरे शहर में संवैधानिक तरीके से निकला जायेगा। शाम 4: 00 से 6:00 के बीच में पूरे शहर में भ्रमण कर सरकार द्वारा बनाए गई गलत नीतियों के विरोध में मशाल जुलूस निकाला जायेगा। (Santal Pargana Bandh) मशाल जुलूस में संताल परगना प्रमंडल के सभी युवा, मोटर वाहन यूनियन, चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, बस मालिक, सभी प्राईवेट स्कूल के संचालक और सभी गैर सरकारी संगठनों को मशाल जुलूस और 1अप्रैल 2023 को आहूत की गई सांकेतिक बंदी (Santal Pargana Bandh) में सम्मिलित करने का निर्णय लिया गया ।

‘अपने ही राज्य में हक अधिकार के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है’ 

प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से छात्र समन्वय के कहा कि हेमंत सरकार एवं अनके सहयोगी कांग्रेस के द्वारा बनाई गई कई गलत नीतियों के कारण जनमानस की भावनाओं को ठेस पहुंचाया है। छात्र -छात्राओं ने सवाल उठाया कि क्या झारखंड इसी दिन के लिए बना था कि यहां के युवा रोजगार के लिए दर-दर भटके। उन्हें अपने ही राज्य में हक अधिकार के लिए सड़कों पर उतर कर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़े। आज हालात यह है कि छात्र अधिकार और न्याय की मांग के क्रम में पुलिस से लाठी खानी पड़ रही है। उन्हें बेवजह झूठे केस का शिकार होना पड़ रहा है। जहां उन्हें रोजगार मिलना चाहिए वहां केस और पुलिस की लाठी मिल रही है।छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि झारखंड के हेमंत सरकार को यह बात समझ में आना चाहिए 1951 के बाद केंद्र के विभिन्न सरकारी उपक्रमों में झारखंड में आए विभिन्न राज्यों के लोग एवं अनके परिवार बस गए है। सवाल उठता है कि झारखंड के स्थानीय खाता धारियों का क्या होगा? इस हालात में क्या हेमंत सोरेन ने झारखंड के आदिवासियों और मूल वासियों के साथ धोखा नहीं किया है?

‘1932 के आधार पर स्थानीय नीति क्यों नहीं बनी ?’

उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार 1932 के आधार पर स्थानीय नीति क्यों नहीं बनी? 1932 शब्द के साथ अंतिम सर्वे सेटेलमेंट शब्द को क्यों नहीं जोड़ा गया। क्या झारखंड में बाहर से आए लोगों की जनसंख्या अधिक हो गई है या फिर बाहर के लोगों का झारखंड की राजनीति में प्रभाव बढ़ गया। अगर बाहर के लोगों का झारखंड के राजनीति में प्रभाव है तो क्यों यह बात हेमंत सरकार को समझने की जरूरत है।

दोहरी नागरिकता!

राजेंद्र मुर्मू ने बताया कि आज बाहरी लोग जो यहां रोजगार की तलाश में आए, उन्होंने अपना वोटर कार्ड यहां बनवाया और वोट भी देते हैं। क्या यह दोहरी नागरिकता नहीं है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर सरकार क्यों कार्रवाई नहीं करती है। आज पीजीटी में बहाली के लिए रिक्तियों के लिए आवेदन मांगा जा रहा है। जिसमें पात्रता भारत की नागरिकता मांगी गई है। क्या ऐसे में झारखंड के युवाओं का हक नहीं मारा जा रहा है। बिहार बिहारियों के लिए, बंगाल बंगालियों के लिए, तो क्या झारखंड झारखंडियों के लिए नहीं हो सकता है ?

झारखंड में बाहर से आए लोगों के हित में है नियोजन नीति  

राजीव बास्की ने कहा कि झारखंड सरकार को जवाब देना चाहिए कि बिहार में भी प्लस 2 विद्यालयों के लिए बहाली निकाली गई, जिसमें प्रिंट मीडिया साफ तौर पर कहती है कि 40,506 पदों पर नौकरी बिहारियों के लिए है। लेकिन झारखंड में पात्रता पूरे भारत को माना जा रहा है जबकि दोनों राज्यों की डोमिसाइल एक ही है। क्या झारखंड सरकार की नियोजन नीति जिसमें 60-40 अनुपात का प्रावधान है, उन लोगों के हित में नहीं बनाया जा रहा है जो झारखंड में बाहर से आए हैं और विभिन्न केंद्रीय उपक्रमों जैसे सीसीएल, बीसीसीएल बीटीपीएस पीटीपीएस एवं एसएआईएल इत्यादि में काम कर रहे हैं।सरकार को जवाब देना चाहिए कि क्या झारखंड एक चारागाह बनकर रह गया है। घर और छत तो बन गए लेकिन इसमें खिड़की और दरवाजा नहीं लगता है। जब जो चाहे आ जाए जब जो चाहे चला जाए।

छत्तीसगढ़ की नीति पर गौर करे सरकार

उन्होंने कहा कि सरकार को छत्तीसगढ़ का पोर्टल देखना चाहिए, जिसमें साफ तौर पर लिखा हुआ है कि अभ्यर्थी भारत का नागरिक हो, साथ ही छत्तीसगढ़ का स्थानीय निवासी होना भी अनिवार्य है। क्या झारखंड में ऐसा नहीं हो सकता है। बंगाल में 90 प्रतिशत बंगालियों के लिए है, 5 प्रतिशत बाहरियों के लिए है। झारखंड में क्यों नहीं सकता है। इसका जवाब सरकार को देना चाहिए। सरकार की गलत नीतियों में एक शिक्षा नीति भी है। जिसमें सरकार ने विश्वविद्यालय में सीयूईटी के तहत नामांकन अनिवार्य कर दिया है। संताल परगना के छात्र इसका विरोध करते हैं। इस संदर्भ में झारखंड सरकार को जवाब देना चाहिए।इस अवसर पर छात्र नेता

इनकी रही उपस्थिति

मौके पर श्यामदेव हेम्ब्रोम, शिवलाल मरांडी, वेंसिंट हंसदाक, विजय सिंह हंसदाक, राजेंद्र मुर्मू, विंसेंट सोरेन, सोकोल हेम्ब्रोम, जियोनधन हंसदाक, बिमल टुडू, सुलिस सोरेन, मैनुअल हेम्ब्रोम, बबीता मरांडी, अर्चना टुडू, सोनी सोरेन, प्रेमलता टुडू कैटरीना सोरेन, सावित्री सोरेन, मैनुअल हेम्ब्रोम,  मनोज मुर्मू प्रेम मुर्मू,  बीएड, एमएंड एवं संताल परगना महाविद्यालय के हजारों छात्र -छात्राएं उपस्थित रहे ।

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