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Sahibganj News: अवैध खनन पर लगेगी लगाम, NGT के निर्देश पर पहुंची उच्चस्तरीय टीम

साहिबगंज (Sahibganj): झारखंड के चार जिलों-दुमका, गोड्‌डा, पाकुड़ और साहिबगंज(Sahibganj) तक फैली 10 करोड़ वर्ष पुरानी राजमहल पर्वत श्रृंखला का दोहन इस तरह हुआ है कि इस श्रृंखला से 2 पहाड़ियां गायब हो गई. खास बात ये है कि ये पहाड़ियां हिमालय से 5 करोड़ वर्ष पहले बनीं हैं. दशकों में बनी इन पहाड़ियों का अस्तित्व खत्म करने में कुछ साल ही लगे. माइनिंग माफिया ने गदवा-नासा, अमजोला, पंगड़ो, गुरमी, बोरना, धोकुटी, बेकचुरी, तेलियागड़ी, बांसकोला, गड़ी, सुंदरपहाड़ी, मोराकुट्टी पहाड़ियों का अस्तित्व अवैध खुदाई कर खत्म कर दिया है इसकी रिपोर्ट दो वर्ष पूर्व ही आ गयी थी NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की रिपोर्ट में भी राजमहल की पहाड़ियों पर अवैध खनन को लेकर कई गड़बड़ियों की बात कह चुका है. अब राजमहल पहाड़ी श्रृंखलाओं के दोहन की शिकायत पर एनजीटी (National Green Tribunal) के निर्देश पर राज्य सरकार ने एक टीम का गठन कर साहिबगंज भेजा है.

इन्हें किया गया है टीम में शामिल 

अवैध पत्थर खदानों के लिए हो रहे दोहन के विरुद्ध सरकार ने जो कमिटी बनायीं है उसमें अपर मुख्य सचिव एल ख्यांगते, खान सचिव अबु बकर सिद्दकी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव वाईके दास शामिल हैं.

image source : social media

एनजीटी को भेजी जाएगी  रिपोर्ट

गठित टीम जिला के खनन टाँस्क फोर्स के प्रमुख अधिकारियों के साथ विचार -विमर्श कर पहाड़ी श्रृंखलाओं के हो रहे कथित दोहन का निरीक्षण करते हुए खदानों व पत्थर क्रशरों पर रिपोर्ट तैयार कर 27 फरवरी को होने वाली सुनवाई के पहले दिल्ली भेजेगी.

2017 में दायर हुई थी याचिका

माफियाओं के द्वारा पहाड़ों को बेतरतीब ढंग से तोड़े जाने और इससे उत्पन्न  होने वाली समस्या को लेकर 2017 में एनजीटी में याचिका दायर की गई थी. इस बाबत  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने विशेषज्ञों की एक टीम साहिबगंज भेजी थी.

पहली बार हुई ऐसी जांच

जिले में पत्थर का खनन वर्षों से हो रहा है, लेकिन पहली बार ऐसा विज्ञानी सर्वे हुआ. टीम में आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर मुकेश शर्मा, आआइटी दिल्ली के प्रोफेसर सागनिक डे, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एडिशनल डायरेक्टर डा. नरेंद्र शर्मा, झारखंड स्टेट प्रदूषण बोर्ड के सदस्य सचिव व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक शामिल थे.

ये पहाड़ियां हुई गायब

गौरतलब है कि पूर्व में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार कार्बन डेटिंग के अनुसार राजमहल श्रृंखला 10 करोड़, हिमालय 5 करोड़, जबकि अरावली 57 करोड़ वर्ष पुरानी है. राजमहल पर्वत शृंखला का निर्माण ज्वालामुखी विस्फोट से हुआ है. यह 26 सौ वर्ग किलोमीटर में फैली है और इसकी सर्वाधिक ऊंचाई 567 मीटर है।  माइनिंग माफिया ने गदवा-नासा, अमजोला, पंगड़ो, गुरमी, बोरना, धोकुटी, बेकचुरी, तेलियागड़ी, बांसकोला, गड़ी, सुंदरपहाड़ी, मोराकुट्टी पहाड़ियों  का अस्तित्व ही खत्म कर दिया.

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