राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साले और पूर्व विधायक साधु यादव (Sadhu Yadav) को पटना के एमपीएमएलए (MP MLAcourt) कोर्ट ने तीन साल के कैद की सजा सुनाई है। उन पर सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप था।हालांकि उन्हें सिविल कोर्ट से provisional बेल दे दी गई।
ऐसा था सियासी रौब
बता दें कि बिहार में लालू यादव और राबड़ी देवी के 15 साल के राज में साधु यादव (Sadhu Yadav) का ऐसा सियासी रौब था कि बिहार के अफसर से लेकर नेता तक कांपते थे। साधु यादव पर उनकी दीदी राबड़ी देवी और जीजा लालू यादव के साया के चलते बिना उनकी मर्जी के बिहार में एक पत्ता भी नहीं हिलता था। हालांकि, बिहार की सियासत ने ऐसी करवट ली कि सत्ता से आरजेडी के बेदखल होते ही लालू-राबड़ी ने साधु यादव से अपना पीछा छुड़ा लिया। इसके बाद से साधु यादव बिहार में राजनीतिक गुमनामी में हैं। वो कांग्रेस सहित तमाम राजनीतिक ठिकाने तलाशते रहे, लेकिन अपना पुराना रुतबा वापस नहीं पा सके।
लालू ने विधान परिषद सदस्य व विधायक बनाया
साधु को लालू ने विधान परिषद सदस्य व विधायक बनाया। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में साधु यादव गोपालगंज सीट से आरजेडी के सांसद भी बने। लालू ने अपने दूसरे साले सुभाष यादव को भी राजनीति में आगे बढ़ाया। लालू के दोनों सालों साधु व सुभाष की जोड़ी की धाक पूरे बिहार में थी।
साधु ने खोल दिया था मोर्चा
लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने विवाह के बाद उनके मामा साधु यादव खुलकर बगावत पर उतर आए थे। उन्होंने तेजस्वी के पटना आने पर जूतों की माला से स्वागत करने की बात कही तो लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने मामा को अपनी हद में रहने, नहीं तो गर्दा छुड़ा देने की धमकी दी। साधु ने अपनी भाजियों, बहन राबड़ी देवी व जीजा लालू प्रसाद यादव के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था।
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