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झारखंड वासियों अब स्थानीय स्मस्याओं के लिए लम्बे समय तक रहो तैयार, नगर निकाय कार्यकाल खत्म, चुनाव कब, भगवान जाने!

Residents of Jharkhand, now be ready for local problems for a long time

Jharkhand Nagar Nigam : झारखंड के 34 नगर निकायों में लगभग 674 जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल 28 अप्रैल को समाप्त हो गया है। इसका मतलब अब हमारी स्थानीय समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। जिम्मेवारी भले ही निगम अधिकारियों को सौंपी गयी है, लेकिन क्या हर वार्ड, हर मुहल्ले और हर गली की शिकायत सुनने और उसका समाधान कर पाने का समय होगा इनके पास। बिना नगर निकाय जनप्रतिनिधियों के ऐसा होना मुश्किल है। शहरों को नगर निकाय प्रतिनिधि तभी मिलेंगे जब चुनाव होंगे। और चुनाव कराना फिलहाल क्या, लम्बे समय तक सम्भव नहीं लग रहा है। पार्षद तो क्या अब तो महापौर और उप महापौर भी अपने अधिकार खो चुके हैं। चुनाव नहीं होने तक इन्होंने नगर निकाय कार्य का कार्यकाल बढ़ाने का अनुरोध किया, लेकिन इनकी आवाज अभी तक नहीं सुनी गयी है।

जनप्रतिनिधियों के नहीं रहने से क्या-क्या समस्याएं आयेंगी?

पहले तो यह जान लेते हैं कि नगर निकाय जनप्रतिनिधियों के रहते हुए हमारी किन-किन समस्याओं का समधान आसानी हो पाता था। सबसे पहले तो मुहल्लों में पानी, साफ-सफाई, यहां तक कि स्ट्रीट लाइट की समस्या के लिए किसी के पास जाने की जरूरत नहीं होती थी। छोटी-मोटी जरूरत होती भी थो तो वार्ड पार्षद के पास जाकर शिकायत करने पर वार्ड पार्षद अपने स्तर से उसका समाधान करते थे। कई तरह के सर्टिफिकेट बनवाने से लेकर राशन कार्ड बनवाने में वार्ड पार्षद मदद करते थे। कई तरह की छोटी-मोटी कानूनी जानकारियां भी इनसे मिल जाती थीं। फिलहाल ऐसा नहीं हो सकेगा। अब अपनी समस्याओं को लेकर आपको अधिकारियों के  पास दौड़ना पड़ेगा। कार्यकाल खत्म होते ही मेयर, डिप्टी मेयर, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पार्षदों सभी अधिकार छिन जाने के बाद अब दफ्तरों के चक्कर लगाने की बारी आ गयी है। इसमें कितनी परेशानियां हो सकती है, इसका सहज अंदाज लगाया जा सकता है। यह परेशानी तब तक झेलनी होगी, जब तक नगर निकायों के लिए चुनाव संपन्न नहीं हो जाते और नये बोर्ड का गठन नहीं हो जाता।

फिर क्यों नहीं हो रहे चुनाव?

अब अगला सवाल, जब चुनाव इन समस्याओं का समाधान है, तो फिर नगर निकाय के चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं? तो बता दें, फिलहाल ऐसा सम्भव नहीं है। राज्य सरकार ने फैसला किया है कि नगर निकायों के चुनाव अब ओबीसी रिजर्वेशन के आधार पर कराए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार रिजर्वेशन का प्रतिशत तय करने के लिए हर राज्य सरकार के लिए ट्रिपल टेस्ट सर्वे कराना अनिवार्य है। जब रिजर्वेशन तय हो जायेगा तब चुनाव भी हो जायेगा। शायद इस प्रक्रिया को पूरे होने में साल गुजर जाये। राज्य के 15 नगर निकायों का कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका है। अब बाकी 34 निकायों का कार्यकाल 30 अप्रैल तक खत्म हो जायेंगे। कोविड के कारण चुनाव 2020 के बाद से ही टलते रहे हैं।

क्या है ट्रिपल टेस्ट?

OBC Reservation के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट फार्मूला पूरे देश में लागू करने का आदेश दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि ट्रिपल टेस्ट के बगैर निकाय चुनाव कराने की स्थिति में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को अनारक्षित मानना होगा। झारखंड में नगरपालिका अधिनियम 2011 में संशोधन करने के बाद आरक्षण रोस्टर में भी बदलाव का मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। राज्य सरकार के कैबिनेट की बैठक में नगर विकास विभाग की अधिसूचना को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में ट्रिपल टेस्ट के बाद निकाय चुनाव कराने का निर्णय लिया गया था। जाहिर है, हेमंत सरकार बिना ओबीसी रिजर्वेशन के, ओबीसी की अनारक्षित सीटों के साथ चुनाव कराकर हेमंत सरकार अपना नुकसान नहीं करवाना चाहेगी।

उदाहरण- निकाय कार्यकाल खत्म होने के बाद उत्तर प्रदेश ने क्या किया?

जैसा झारखंड में हुआ है, वैसा उत्तर प्रदेश में भी हो चुका है। यूपी में जनवरी 2023 के अंत तक सभी निकायों का कार्यकाल समाप्त हो गया है। नगर विकास विभाग प्रमुख सचिव ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को जिलाधिकारी के नेतृत्व में टीम का गठन करने का आदेश दिया था, जिसमें तीन सदस्य थे। इसमें डीएम के अलावा दूसरा सदस्य नगर आयुक्त या अधिशासी अधिकारी था। यही टीम निकायों का कामकाज देख रही है। यह समिति हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए कामकाज संभाल रही है।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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