Rahul Gandhi Nyay Yatra: राहुल गांधी की न्याय यात्रा ‘भंग’! राहुल के लिए देश ज्यादा जरूरी या मुट्ठी भर किसान?

Rahul Gandhi's justice march 'discontinued'! Is the country important for Rahul or a handful of farmers?

Rahul Gandhi Nyay Yatra: आखिर ऐसी क्या आन पड़ी थी कि राहुल गांधी को अपनी  ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को भंग करना पड़ा गया। यह यात्रा अभी आगे भी जारी रहेगी, लेकिन उन्होंने बीच में आखिर इसे क्यों छोड़ दिया। राहुल गांधी की बुधवार को झारखंड में एक बार फिर से यह यात्रा प्रवेश करने वाली थी। पहले तो खबर यह आयी कि राहुल गांधी के बिना ही यह यात्रा चलेगी, लेकिन बाद में निर्णय लिया गया कि राहुल गांधी के वापस आने के बाद ही यह न्याय यात्रा आगे बढ़ेगी।

यहा सवाल यह उठता है कि आखिर राहुल गांधी ने यात्रा को बीच में क्यों छोड़ दिया। वह भी पूरे देश के नहीं, बल्कि दो राज्यों के किसान आन्दोलन के लिए। अगर पूरे देश के किसान आन्दोलन कर रहे होते तब भी बात समझ में आती, लेकिन इस बार भी किसानों के उसी गुट ने यह हिंसक आंदोलन छेड़ रखा है, जिन्होंने दिल्ली को एक साल तक जाम कर रखा था। इस आन्दोलन को हवा देने का कांग्रेस और वाम दलों पर इल्जाम भी लगा था। इल्जाम तो यह भी था कि कांग्रेस के पैसों से यह आन्दोलन साल भर फल-फूल रहा था। एक बार फिर जब लोकसभा चुनाव सिर पर है, किसानों ने उसी गुट ने फिर के बखेड़ा खड़ा कर रखा है। उन्होंने ऐसी-ऐसी मांगें उठा कर यह आन्दोलन छेड़ा है कि अगर इन किसान नेताओं को ही सत्ता में बिठा दिया तो भी वह उन मांगों को पूरा करने से कतराने लगेंगे।

खैर, बात कर रहे हैं राहुल गांधी कि सवाल उनके यात्रा छोड़ कर दिल्ली जाने पर उठ रहा है। अभी कुछ ही दिन पहले देश में संसद चल रही थी। 17वीं लोकसभा का अंतिम और बजट सत्र था। राहुल गांधी के लिए यात्रा इतनी महत्वपूर्ण थी कि उन्होंने संसद का ‘त्याग’ करना ज्यादा बेहतर समझा। जबकि वह एक सांसद हैं, पूरे देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी बनती है। देश की पूरी जनता के सुख-दुःख की जवाबदेही उनकी है। उसके बाद भी उन्होंने संसद से खुद को दूर रखा। आज जब किसानों ने आन्दोलन सिर पर उठा लिया है तो उसमें उन्हें ‘राजनीति’ की बू आने लगी और भाग पड़े दिल्ली। तो अब राहुल गांधी ही तय करें कि पूरा देश उनके लिए जरूरी या मुट्ठी भर किसान।

न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार

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