सम्मेलन में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी थे उपस्थित
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि देश के सामान्य नागरिकों में न्याय प्रणाली के प्रति भरोसा कायम करना जरूरी है। इसके लिए न्यायालयों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आजादी के ‘अमृत काल’ में हमारी दृष्टि एक ऐसी न्याय प्रणाली के लिए होनी चाहिए जहां न्याय आसानी से, त्वरित और सभी के लिए उपलब्ध हो। इस संयुक्त सम्मेलन में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उपस्थित थे।
पीएम मोदी ने कहा कि एक ओर जहां हमारे देश की न्यायपालिका संविधान संरक्षक की भूमिका में है, वहीं विधायिका नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का यह संगम, यह संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 में जब देश अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय-व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम किस तरह अपनी न्यायिक व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएं कि वह 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ज्यूडिशियल सिस्टम में टेक्नोलॉजी के महत्व को भी समझाया। उन्होंने कहा कि ज्यूडिय़री में डिजिटल इंडिया मिशन को एक जरूरी हिस्सा मानते हैं। उदाहरण के तौर पर, ई-कोट्र्स प्रोजेक्ट को आज मिशन मोड में इम्प्लीमेंट किया जा रहा है। हम न्यायिक व्यवस्था में सुधार के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, साथ ही न्यायिक व्यवस्था के बुनियादी ढांचे में भी सुधार करने पर काम कर रहे हैं।
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