विश्व आदिवासी दिवस की तैयारियों और लोगों तक आदिवासी अधिकारों की बात पहुंचाने को लेकर आदिवासी युवा सामाजिक संगठनों ने की प्रेस वार्ता

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आदिवासी युवा सामाजिक संगठनों के द्वारा एक सामूहिक प्रेस वार्ता रखी गई जिसमें इस वर्ष विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त) की तैयारी को लेकर कुछ निर्णय लिए गए और मीडिया के साथियों को इसकी जानकारी दी गई
पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी आदिवासी समाज के युवा हजारों की संख्या में एक बड़ी बाइक रैली करने जा रहे हैं । जिसमें लगभग 1000 – 1500 की संख्या में बाइक जुड़ेंगे । यह बाइक रैली मोराबादी मैदान के बापू वाटिका में महात्मा गांधी जी की प्रतिमा का माल्यार्पण कर शुरू होगी और गेस्ट हाउस के पास रामदयाल मुंडा जी की प्रतिमा में माल्यार्पण करते हुए सिदो – कान्हू मुर्म पार्क की ओर बढ़ेंगे तथा वहां रुककर माल्यार्पण करेंगे, उसके बाद रातू रोड चौक की तरफ कूच करेंगे, जहां से बाईपास रोड पड़कर हरमू की ओर बढ़ेंगे । हरमू मुक्ति धाम पार कर बाबा कार्तिक उरांव जी की प्रतिमा में माल्यार्पण करेंगे उसके बाद वहां से आगे वीर बुधु भगत चौक (अरगोड़ा चौक) की ओर बढ़ेंगे, वहां अमर शहीद वीर बुधु भगत जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे उसके बाद बिरसा चौक की ओर आगे बढ़ेंगे, बिरसा चौक में धरती आबा बिरसा मुंडा जी की प्रतिमा में माल्यार्पण करेंगे जिसके बाद हिनू चौक होते हुए डोरंडा में भीम राव अंबेडकर चौक पहुंचेंगे तथा मल्यार्पण करेंगे । उसके बाद सुजाता चौक – मेन रोड होते हुए अल्बर्ट एक्का चौक पहुंचेंगे फिर वहां माल्यार्पण करने के पश्चात मोराबादी मैदान में वापस जमा होंगे ।
इस बाइक रैली का उद्देश्य है कि आदिवासी समाज को अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक करें, विशेष कर जो कानून अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा हम आदिवासियों के लिए बनाए गए हैं, उसके बारे में जन-जन को बताएं और जागरूक करें । दुनिया भर में 500 मिलियन के करीब आदिवासी रहते हैं और 7000 भाषाएं बोलते हैं, 5000 संस्कृतियों के साथ दुनिया के 22 प्रतिशत भूमि पर आदिवासियों का कब्जा है। इनकी वजह से पर्यावरण संरक्षित है। साल 2016 के एक रिसर्च के अनुसार 2016 में 2,680 ट्राइबल भाषाएं विलुप्त होने की कगार पर थीं। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र ने इन भाषाओं और इस समाज के लोगों को समझने और समझाने के लिए 2019 में विश्व आदिवासी दिवस मनाने का एलान किया।


भारत के मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्‍तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, लेह – लद्दाख और नॉर्थ ईस्ट के तमाम राज्‍यों में आदिवासी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। मध्‍य प्रदेश की बात कहें तो यहां 46 आदिवासी जनजातियां रहती हैं, जिसमें एमपी की कुल जनसंख्या के 21 फीसदी लोग आदिवासी समुदाय के हैं। वहीं झारखंड की कुल आबादी का करीब 28 फीसदी आदिवासी समाज के लोग हैं, जिनका जनसंख्या अनुपात साल दर साल कम होता जा रहा है, आदिवासियों की जमीनी लूटी जा रहे हैं उनके अधिकार छीने जा रहे हैं जो बेहद गंभीर मामला है । आदिवासी का सर्वाइवल प्रकृति के साथ है और प्रकृति का सर्वाइवल भी आदिवासियों के साथ ही है । अगर आदिवासी खत्म तो प्रकृति खत्म, क्योंकि पूरी दुनिया में आदिवासी समुदाय ही प्रकृति की रक्षा करता आया है । अक्सर पूंजीपति लोग पर्यावरण की चिंता किए बगैर लाखों लाख पेड़ काट देते हैं, जंगलों को उजाड़ देते हैं जो सरासर गलत है, इसके बहुत सारे दुष्प्रभाव होते हैं जिसमें सबसे बड़ा है ग्लोबल वार्मिंग । आज पूरी दुनिया के सामने सबसे बड़ी समस्या बनकर खड़ी हो गई है ग्लोबल वार्मिंग, इसलिए “आदिवासियों का संरक्षण यानी पर्यावरण का संरक्षण और पर्यावरण का संरक्षण यानी दुनिया का संरक्षण”, इसी संदेश को बाइक रैली के माध्यम से पूरे आवाम को बताना है ।

आदिवासियों के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने कई अहम नियम कानून बनाने हैं, हमारे देश के कानून व्यवस्था में भी पांचवी अनुसूची, छठी अनुसूची, ट्राइबल सब प्लान, आरक्षण, प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी एक्ट, पेसा कानून, CNT एक्ट, SPT एक्ट, विलकिंसन रूल, फॉरेस्ट राइट एक्ट इत्यादि अनेक कानून हैं जो आदिवासी और उनके जल – जंगल – जमीन की सुरक्षा के लिए बने हैं पर दुर्भाग्य ये है कि इनको आजतक सही से धरातल पर उतारा नहीं गया है ।
इस बाइक रैली के माध्यम से आदिवासी युवा संगठनों के द्वारा पूरे देश – दुनिया के आदिवासियों को एक संदेश देने की कोसिस की जायेगी, ताकि सभी आदिवासी लोग अपने हक – अधिकार को समझें और साथ ही साथ बाकी समुदाय के लोग आदिवासियों के प्राकृतिक संरक्षण और दुनिया के लिए उसकी महत्ता को समझें और आदिवासियों के संरक्षण में सकारात्मक भागीदारी दर्ज करें ।

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