Presidential Election:18 जुलाई यानी आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए मत डाले जा रहे हैं. 21 जुलाई को देश को नए राष्ट्रपति मिल जाएंगे. लेकिन आज अधिकतर लोगों के मन में यह बात उठ रही है कि क्यों राष्ट्रपति चुनाव में ballot box में मत डाले जाते हैं, जबकि वहीँ आम चुनावों में EVM का प्रयोग किया जाता है, किस तरह और क्यों राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) की प्रक्रिया आम चुनाव की प्रक्रिया से भिन्न है? आइए जानते हैं.
ईवीएम (EVM) का इस्तेमाल साल 2004 के बाद से चार लोकसभा चुनावों और 127 विधानसभा चुनावों में हुआ है, लेकिन इसका इस्तेमाल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के सदस्य के चुनाव के दौरान नहीं होता है.

ऐसे काम करती है EVM
ईवीएम एक ऐसी तकनीक पर आधारित है, जिसमें वह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं जैसे चुनावों में वोट के समूहक यानी एग्रेगेटर के तौर पर काम करती है. मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम के सामने वाले बटन को दबाते हैं और जो सबसे ज्यादा वोट हासिल करता है, वह विजयी घोषित किया जाता है.

एकल संक्रमणीय पद्धति से होता है राष्ट्रपति का चुनाव
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा और विधान परिषद का चुनाव अलग तरह से होता है. राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के मुताबिक सिंगल ट्रांसफरेबल वोट से होता है. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार सिंगल ट्रांसफेरेबल वोट(एकल संक्रमणीय पद्धति) के जरिए हर निर्वाचक उतनी ही वरीयताओं पर निशान लगा सकता है, जितने उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. उम्मीदवारों की वरीयता पर मतदाता बैलेट पेपर के कॉलम नंबर 2 पर निशान लगाता है. उम्मीदवारों के नाम के आगे वह वरीयता के हिसाब से 1,2,3,4,5 लिख देता है.
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