न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
राष्ट्रपति और तीनों सेनाओं की प्रमुख द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को असम के तेजपुर से लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई में उड़ान भरी। राष्ट्रपति का सैन्य विमान से उड़ान भरना चीन समेत पड़ोसी मुल्कों के लिए एक कड़ा संदेश भी है। राष्ट्रपति द्रौपदी ने असम के जिस तेजपुर वायुसेना स्टेशन से उड़ान भरी है , यह सामरिक दृष्टि से सेना का बहुत ही महत्वपूर्ण स्टेशन है। क्योंकि भारतीय वायुसेना यहां से चीन, बांग्लादेश, म्यांमार पर नजर रखती है। बता दें, सुखोई से उड़ान भरने वाली द्रौपदी मुर्मू तीसरी राष्ट्रपति है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी सुखोई में उड़ान भरी थी।
ब्रह्मोस दागने में क्षमता सुखोई 30 को बनाता है खास
सुखोई 30 एमकेआई वायुसेना का महत्वपूर्ण लड़ाकू विमान है। इस लड़ाकू विमान के कारण भारतीय वायुसेना की ताकत में कई गुणा इजाफा हुआ है। यह विमान दुश्मन पर हमला करने में तो तेज-तर्रार है ही, अभियान के समय अन्य विमानों को सुरक्षा कवच प्रदान करने करने का काम भी करता है सुखोई। सुखोई 30 एमकेआई को इसलिए भी बड़ा लड़ाकू माना जाता है क्योंकि यह विमान खतरनाक ब्रह्मोस मिसाइल भी ले जाने और दागने में सक्षम है। वैसे हथियार दागने के लिए इस विमान में 8 हार्ड प्वॉइंट हैं, लेकिन इन इन हार्ड प्वॉइंट की संख्या 12 तक की जा सकती है। सभी हार्ड प्वॉइंट्स में बम से लेकर मिसाइल तक के हथियार लगाए जा सकते हैं। कुल मिलाकर सुखोई 30 एमकेआई विमान 8 टन से भी ज्यादा वजन के हथियार ले जा सकता है।
एयर स्ट्राइक के वक्त सम्भाली थी मिराज विमानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी
बता दें, भारतीय वायुसेना ने जब पाकिस्तान के बालाकोट पर एयर स्ट्राइक की थी तब सुखोई 30 ने हमलावर मिराज विमानों की सुरक्षा का जिम्मेदारी सम्भाली थी। सुखोई विमानों में 2 इंजन लगे होते हैं जो वायुसेना की ताकत को और बढ़ाते हैं। नये फीचर्स जोड़े जाने के बाद सुखोई विमानों की क्षमता और बढ़ी है। यही वजह है कि चीन और पाकिस्तान की वायुसेना पर ये भारी पड़ते हैं। अब तो राफेल और मिराज के साथ सुखोई 30 बहुत खतरनाक कॉम्बीनेशन बन गये हैं।
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