Pravasi Bhartiya Divas: मध्यप्रदेश के इंदौर में प्रवासी भारतीय दिवस का आगाज हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत आये प्रवासी भारतीयों का इंदौरी अंदाज में स्वागत किया। पीएम मोदी ने इंदौरी स्टाइल में कहा ‘अपन इंदौर, अपन का इंदौर’ ऐसा कहना देश ही नहीं दुनिया में लाजवाब है।‘ पीएम मोदी ने इंदौर की तारीफ करते हुए कहा कि यह न सिर्फ स्वाद की राजधानी बल्कि भारत में स्वच्छता की एक पहचान है।
2019 के बाद कोविड महामारी के बाद यानी चार साल बाद इंदौर में 3 दिवसीय प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का शुभारंभ कर किया। इस मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी और गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली भी उपस्थित थे। राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी और राष्ट्रपति इरफान अली ने इस मौके पर कमेमोरेटिव स्टांप जारी किया।
पीएम मोदी ने प्रवासियों को भारतीय उद्योग, मिलेट्स और संस्कार और संस्कृति का राष्टदूत बताया। जब देश इतना विकास कर रहा हो तो विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। पीएम ने G-20 का जिक्र करते हुए कहा कि आप अपने देश के प्रतिनिधियों के भारत आने से पहले उन्हें हिंदुस्तान के बारे में बताएं। भारत के पास नॉलेज कैपिटल बनने के साथ ही स्किल कैपिटल बनने का मौका है।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश से लोगों ने जाकर दुनिया के अलग-अलग कोनों में व्यापार किया। दुनिया भर में यहां से लोग बसे कई सदियों से भारतीय प्रवासी कई देशों में जाकर उनके विकास में योगदान दिया। पीएम मोदी ने प्रवासियों से वादा किया कि आप दुनिया में कही रहेंगे भारत आपके लिए खड़ा रहेगा।
पीएम मोदी ने दिया संदेश
पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन में अतिथियों से कहा- ‘हमारे यहां कहा जाता है- “स्वदेशो भुवनत्रयम्”। अर्थात्, हमारे लिए पूरा संसार ही हमारा स्वदेश है। मनुष्य मात्र ही हमारा बंधु-बांधव है। इसी वैचारिक बुनियाद पर हमारे पूर्वजों ने भारत के सांस्कृतिक विस्तार को आकार दिया था। हम दुनिया के अलग-अलग कोनों में गए। हमने सभ्यताओं के समागम की अनंत संभावनाओं को समझा। हमने सदियों पहले वैश्विक व्यापार की असाधारण परंपरा शुरू की थी। हम असीम लगने वाले समंदरों के पार गए। अलग-अलग देशों, अलग-अलग सभ्यताओं के बीच व्यावसायिक संबंध कैसे साझी समृद्धि के रास्ते खोल सकती है, भारत ने और भारतीयों ने करके दिखाया। आज अपने करोड़ों प्रवासी भारतीयों को जब हम ग्लोबल मैप पर देखते हैं, तो कई तस्वीरें एक साथ उभरती हैं। दुनिया के इतने अलग-अलग देशों में जब भारत के लोग एक कॉमन फ़ैक्टर की तरह दिखते हैं, तो ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना उसके साक्षात् दर्शन होते हैं। दुनिया के किसी एक देश में जब भारत के अलग-अलग प्रान्तों, अलग-अलग क्षेत्रों के लोग मिलते हैं, तो ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सुखद अहसास भी होता है। दुनिया के अलग-अलग देशों में जब सबसे शांतिप्रिय, लोकतांत्रिक और अनुशासित नागरिकों की चर्चा होती है, तो Mother of Democracy होने का भारतीय गौरव अनेक गुना बढ़ जाता है। और जब, हमारे इन प्रवासी भारतीयों के योगदान का विश्व आकलन करता है, तो उसे ‘सशक्त और समर्थ भारत’ इसकी आवाज़ सुनाई देती है। इसलिए ही तो मैं आप सभी को, सभी प्रवासी भारतीयों को विदेशी धरती पर भारत का राष्ट्रदूत ब्रैंड एंबेसेडर कहता हूं। सरकारी व्यवस्था में राजदूत होते हैं। भारत की महान विरासत में आप राष्ट्रदूत होते हैं।‘
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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