उग्र छात्रों का गुस्सा शांत करने का कोई प्रयास नहीं
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
‘अग्निपथ’ योजना को लेकर कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन जारी है। अब इसमें राजनीति भी शामिल हो गयी है। समझा तो यही जा रहा है बिहार समेत देश के कई राज्यों में जो हो रहा है, वह छात्रों की नाराजगी नहीं, बल्कि यह छद्म राजनीति का हिस्सा है, अब नेताओं की बयानबाजियां भी यह साबित करने लगी हैं कि यह सारा कुछ राजनीति का भी हिस्सा हो सकता है। आग लगी है तो उसे बुझाने का प्रयास कोई नहीं कर रहा है, बल्कि उसमें अपने बयानों का घी जरूर डाला जा रहा है। क्योंकि आग जितनी भड़केगी, राजनीति की रोटी उतनी अच्छी सिंकेगी।
‘अग्निपथ’ योजना को लेकर देश के कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन जारी है। विरोध की सबसे बड़ी शिकार भारतीय ट्रेनें हो रही हैं। ये ट्रेनें जो हमें यहां से वहां तक ले जाने का सशक्त माध्यम हैं। हमारी हर जरूरत की चीजें हम तक पहुंचाने के लिए उनके पहिये दिन-रात घूमते रहते हैं। यह बहुत बड़ा अहसान है हम पर और आज हम उसमें आग लगाकर यह साबित कर रहे हैं कि कितने बड़े अहसान फरामोश हैं हम। क्या हमें किसी ने वह संस्कार नहीं सिखाया कि किसी के अहसान का बदला किस तरह चुकाया जाता है! जब हमारे राजनीतिज्ञ अपने ही समाज का भला नहीं सकते तो समाज के सामने वे खुद को बेहतर आदर्श के रूप में कैसे प्रस्तुत कर सकते हैं।
जरा सुनिये, क्या कहते हैं हमारे नेता
आज जो स्थिति बनी हुई है। उसमें सत्ता पक्ष भी अपनी सरकार का पक्ष युवाओं के सामने ठीक से नहीं रख पा रहा है। जबकि यह उसका दायित्व है कि वह सरकार की हर बात, उसके गुण-दोष को लोगों को समझाये। वह सरकार में है इसलिए सिर्फ सरकार की बात ‘सही’ है कह कर भी अपना पिण्ड नहीं छुड़ा सकता। दूसरी तरफ, विपक्ष हाथ आया ‘मौका’ जाने नहीं देना चाह रहा है। थोड़ी इनकी भी सुन लें-
उत्तराखंड की धामी सरकार ने कहते हैं कि अग्निवीरों के साथ किसी प्रकार का कोई अन्याय नहीं होने जा रहा है। उन्हें धैर्य रखना चाहिए। अग्निवीरों को उनकी सरकार भविष्य में प्राथमिकता देनी।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि अग्निपथ योजना को पहले ठीक से समझें देश के युवा। अफवाहों पर ध्यान ना दें। इसे लेकर कुछ राजनीतिक दल साजिश कर रहे हैं।
राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा नीतीश कुमार सरकार अग्निवीरों को बिहार पुलिस में भर्ती में प्राथमिकता देने की घोषणा करें।
बिहार में सरकार में शामिल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार अग्निपथ योजनाओं पर पुनर्विचार करे।
राजद नेताओं का कहना है कि अभी अग्निवीर की भर्ती शुरू भी नहीं हुई कि खुशी में अग्निवीरों ने नवादा, बिहार के भाजपा कार्यालय में “अग्नि” लगा दी। खेदजनक! अग्निवीरों में इतनी आग है इसका अंदाजा तो “अग्निपथ” योजना के निर्माताओं को भी नहीं रहा होगा।
हम प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा “अग्निपथ स्कीम” राष्ट्रहित एवं युवा हित के लिए खतरनाक कदम है जिसे अविलंब वापिस लेना होगा। माननीय प्रधानमंत्री जी से आग्रह है कि अविलंब अग्निपथ स्कीम को खत्म कर पुरानी सेना भर्ती योजना को शुरू करने की घोषणा करें।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि देश की सुरक्षा को लेकर शॉर्ट टर्म नीतियां नहीं बननी चाहिए। देश की सुरक्षा कोई अल्पकालिक या अनौपचारिक विषय नहीं है। सैन्य भर्ती को लेकर जो खानापूर्ति करने वाला लापरवाह रवैया अपनाया जा रहा है। वह देश और देश के युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए घातक साबित होगा। अग्निपथ से पथ पर अग्नि न हो।
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, इसे लुभावना और लाभकारी बताया जा रहा है। इसके बाद भी देश का युवा वर्ग असंतुष्ट और आक्रोशित है। सेना में जवानों की भर्ती की संख्या को कमी के साथ-साथ मात्र चार साल के लिए सीमित कर रही है, यह अनुचित और गरीब एवं गांव के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। सरकार तुरंत अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा अग्निपथ नौजवानों ने नकारा. कृषि कानून किसानों ने नकारा। नोटबंदी अर्थशास्त्रियों ने नकारा. GST व्यापारियों ने नकारा. देश की जनता क्या चाहती है, ये बात प्रधानमंत्री नहीं समझते, क्यूंकि उन्हें अपने ‘मित्रों’ की आवाज़ के अलावा कुछ सुनाई नहीं देता।
यानी अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग। हमारे नेता ही देश के युवाओं का मार्गदर्शन नहीं कर सकते। सत्ता पक्ष जहां यह नहीं बता पा रहा है कि अग्निपथ योजना में अच्छाई क्या-क्या है, वहीं विपक्ष इसके अवगुणों को गिनाने में असमर्थ है। उन्हें सिर्फ बयान देना है, सो वे बयान दे दे रहे हैं। कुल मिलाकर तमाम बयानबाजियां भ्रम की स्थिति ही पैदा कर रही है।
युवाओं का असंयमित रहना अनुचित
युवा जिस प्रकार इस समय उग्र हैं, यह सर्वथा अनुचित है। यह बिलकुल हाल में एक साल तक चले किसान आन्दोलन की तरह है, जिसमें एक क्षेत्र विशेष के किसानों ने साल भर बेवजह आन्दोलन किया जबकि जिन किसान कानूनों को इस बेवजह आन्दोलन के कारण वापस लेना पड़ा उसका सबसे अधिक फायदा उसी क्षेत्र के किसानों ने उठाया। जब तक अग्निपथ योजना लागू नहीं होती तब तक यह पता कैसे चलेगा कि आखिर इसके गुण-दोष क्या हैं। सिर्फ अनुमानों के आधार पर इसको खारिज करना कृषि कानूनों को वापस लेने से अनगिनत किसानों को हुए नुकसान की तरह ही होगा। अग्निपथ योजना से जिनको लाभ मिलना है, उनका लाभ भी तो ये युवा उनसे छीन रहे हैं! फिर, तीन दिनों से जारी उग्र प्रदर्शनों पर केन्द्र सरकार जिस शांति से इसका अवलोकन कर रही है, उससे उसके धैर्य की सराहना करनी होगी। अगर वह उग्र प्रदर्शन पर सख्त हो जाये और इसमें कुछ युवाओं को कोई शारीरिक क्षति हो जाये, फिर वे क्या करेंगे? इसलिए युवाओं को सलाह है, दूसरों के बहकावे में न आयें, अपने विवेक का इस्तेमाल करें। वैसे भी नौकरियां कम हों या ज्यादा, सारे युवाओं को नौकरी मिलने वाली तो नहीं है, इसलिए युवाओं का शांत रहना जरूरी है। युवाओं से ही देश का भविष्य है, अपने देश का भविष्य न खराब करें!
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