प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 79वें संस्करण में देश को संबोधित किया। पीएम मोदी ने 26 जुलाई कारगिल विजय के शहीदों को नमन किया, तो इस समय ओलम्पिक में भारतीय खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया। इस साथ ही हर बार की तरह खेती और किसानों की भी बात पीएम ने की।
पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा- ‘ दो दिन पहले की अद्भुत तस्वीरें, यादगार पल, अब भी मेरी आंखों के सामने हैं। टोक्यो ऑलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को तिरंगा लेकर चलता देखकर मैं ही नहीं, पूरा देश ही रोमांचित हो उठा। पूरे देश ने जैसे अपने इन योद्धाओं से कहा- विजयी भवः, विजयी भवः! ये खिलाड़ी, जीवन की अनेक चुनौतियों को पार करते हुए यहां पहुंचे हैं । आज उनके पास, आपके प्यार और सपोर्ट की ताकत है, इसलिए , आइए, मिलकर अपने सभी खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनाएं दें, उनका हौसला बढ़ाएं।’
कारगिल के शहीदों के लिए भावुक सम्बोधन
26 जुलाई को ‘कारगिल विजय दिवस’ भी है। कारगिल के शहीदों को याद कर पीएम भावुक हो उठे। उन्होंने कहा- कारगिल का युद्ध , भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम का ऐसा प्रतीक है , जिसे पूरी दुनिया ने देखा है। इस बार ये गौरवशाली दिवस भी अमृत महोत्सव के बीच में मनाया जाएगा। मैं चाहूंगा कि आप कारगिल की रोमांचित कर देने वाली गाथा जरूर पढ़ें, कारगिल के वीरों को हम सब नमन करें।
आजादी के 75वें वर्ष का ‘अमृत महोत्सव’
पीएम ने कहा- इस बार 15 अगस्त को देश अपनी आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहा है। ये हमारा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि जिस आजादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने के हम साक्षी बन रहे हैं। आजादी के 75 साल मनाने के लिए, 12 मार्च को बापू के साबरमती आश्रम से ‘अमृत महोत्सव’ की शुरुआत हुई थी। इसी दिन बापू की दांडी यात्रा को भी पुनर्जीवित किया गया था, तब से, जम्मू-कश्मीर से लेकर पुडुचेरी तक, गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर तक, देशभर में ‘अमृत महोत्सव’ से जुड़े कार्यक्रम चल रहे हैं।
खेती और किसानों की बातें
सेब का जिक्र आते कि आपके मन में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड का नाम आएगा। पर अगर मैं कहूं कि इस लिस्ट में आप मणिपुर को भी जोड़ दीजिये तो शायद आप आश्चर्य से भर जाएंगे। कुछ नया करने के जज़्बे से भरे युवाओं ने मणिपुर में ये कारनामा कर दिखाया है। आजकल मणिपुर के उखरुल जिले में, सेब की खेती जोर पकड़ रही है। यहां के किसान अपने बागानों में सेब उगा रहे हैं। सेब उगाने के लिए इन लोगों ने बाकायदा हिमाचल जाकर ट्रेनिंग भी ली है। इन्हीं में से एक हैं टी एस रिंगफामी योंग। ये पेशे से एक एयरोनेचुरल इंजीनियर हैं। उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती टी.एस. एंजेल के साथ मिलकर सेब की पैदावार की है।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किए गए एक प्रयास के बारे में भी पता चला है। कोविड के दौरान ही लखीमपुर खीरी में एक अनोखी पहल हुई है। वहां महिलाओं को केले के बेकार तनों से फाइबर बनाने की ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया गया। वेस्ट से बेस्ट करने का मार्ग। केले के तने को काटकर मशीन की मदद से बनाना फाइबर तैयार किया जाता है जो जूट या सन की तरह होता है। इस फाइबर से हैंडबैग, चटाई, दरी, कितनी ही चीजें बनाई जाती हैं। इससे एक तो फसल के कचरे का इस्तेमाल शुरू हो गया, वहीँ दूसरी तरफ गांव में रहने वाली हमारी बहनों-बेटियों को आय का एक और साधन मिल गया।
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