न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
तेल के बढ़ते दामों ने लोगों का ‘तेल’ निकाल दिया है। हालांकि पिछले पांच दिनों से पेट्रोल-डीजल के दामों में कोई और बढ़ोतरी नहीं की गयी है, लेकिन अभी तक तेल के जितने दाम बढ़ चुके हैं, उतना आंसू निकालने के लिए काफी हैं। इसका असर बाजार पर भी दिख गया है। तेलों की कीमतें बढ़ने के बाद भी गाड़ियों की सड़कों की जस की तस भीड़ बता रही है, तेल हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। इसलिए इसमें यदा-कदा मिलने वाली राहत बड़ी लगने लगती है। जनता तेल के बढ़ते दामों से चितिंत है तो तेल के बढ़ते दामों के कारण सरकार के माथे पर भी बल है। केन्द्र सरकार तेल दामों को लेकर लगातार राज्य सरकारों से बातचीत भी कर रही है। इस बीच एक खबर आ रही है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल के दामों से राहत देने पर विचार कर रही है, यह राहत किस प्रकार की हो सकती है, इसका कोई खुलासा नहीं हुआ है।
सूत्रों के अनुसार पेट्रोलियम मंत्रालय तेल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी को लेकर वित्त मंत्रालय संपर्क किया है। दोनों के बीच इस विषय में विचार-विमर्श में कुछ सार्थक पहल होती है तो पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी देखने को मिल सकती है। बता दें, नवंबर 2021 में भी केंद्र ने तेल पर एक्साइज ड्यूटी को कम किया था, जिसके बाद कुछ राज्यों ने भी अपने यहां वैट में कटौती की थी। इससे पेट्रोल डीजल के दामों में 10 रुपये तक की गिरावट आई थी। फिलहाल पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी 27.90 रुपये प्रति लीटर है और डीजल पर 21.80 रुपये है।
क्रूड का दाम 110 डॉलर के ऊपर रहा तो बोझ मिलकर उठाना होगा – CEA
CEA वी अनंत नागेश्वरन ने पेट्रोलियम ईंधन को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि अगर ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाते हैं तो इसका बोझ सरकार, तेल विपणन कंपनियों और उपभोक्ताओं को मिलकर उठाना होगा। अभी विभिन्न कारणों से घरेलू बाजार में तेल की कीमतें बढ़ी हैं। कंपनियां भी बाहर से महंगा तेल मंगा रही हैं। नागेश्वरन ने कहा कि ग्लोबल सप्लाई पर संकट की वजह से ये स्थितियां पैदा हुई हैं और इस महंगाई को झेलना किसी एक के बस की बात नहीं है। सरकार भी अपनी तरफ से राहत देने की पूरी कोशिश करती है और जिसमें टैक्स कटौती जैसे कदम भी शामिल हैं।
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