न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
ऐसा पहली बार हो रहा है कि विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष भी सदन को चलने नहीं दे रहा। गुरुवार को संसद के दोनों सदनों में की कार्यवाही शुरू तो हुई, लेकिन चली नहीं। कारण दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी मांगों पर जोरदार हंगामा किया। फिलहाल हंगामे की वजह से लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी गई।
सदन की कार्यवाही जब शुरू हुई, पहले की तरह ही पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी मांगों पर सदन में फिर अड़ गये। विपक्ष सरकार को अडाणी-हिंडनबर्ग के मामले में जेपीसी बनाने की मांग तो कर ही रहा है ईडी और सीबीआई की देशभर में विपक्षी नेताओं पर हो रही कार्रवाइयों पर भी सवाल उठा रहा है। वहीं, सत्तापक्ष इस बात पर अड़ा हुआ है कि लंदन में दिए गए बयान पर राहुल गांधी सदन में माफी मांगे।
बता दें, सदन के बाद सिर्फ रणनीति बन रही कि विरोधियों को कैसे मात दी जाये। आज की सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों के साथ एक मीटिंग की। प्रधानमंत्री मोदी के साथ मीटिंग में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल, अनुराग ठाकुर, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी शामिल हुए। वहीं, विपक्षी दल राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के ऑफिस में मीटिंग कर सरकार को घेरने की रणनीति पर चर्चा की। इस मीटिंग में कई दलों के नेता मौजूद थे।
एक बात तो यह कि विरोध अब सभी लोकतंत्र की नियति बन गयी है। बेहतर हो कि विरोध जताने का कोई दूसरा रास्ता ढूंढ लिया जाये और सदन को उससे दूर रखा जाये। देश की जनता प्रतिनिधि इसलिए नहीं चुनती की वे सदन में उन्हें ‘अपना ड्रामा’ दिखायें। जनता ने उन्हें जिस लिए अपना प्रतिनिधि बनाया है, सदन के अन्दर सिर्फ और सिर्फ वही काम करें। विरोध करने के लिए देश की सड़कें और रेल की पटरियां तो पहले से ही ‘अधिकृत’ हैं, फिर सदन में जाकर ही विरोध क्यों किया जाये। अगर सदन में ही विरोध करना जरूरी है तो उसके लिए एक समय निर्धारित कर दिया जाये ताकि देश की जनता को नेता बता वहां से बता सकें कि हमें जिस बात पर विरोध करना था, हमने कर दिया।
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