Albert Ekka Andaman: नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्म दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परमवीर चक्र सम्मान से सम्मानित देश के 21 सपूतों का बड़ा सम्मान किया है। पीएम ने अण्डमान-निकोबार के अनाम 21 द्वीपों को इन वीर सपूतों का नाम देकर उन्हें अमर कर दिया है। आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती है। नेताजी का जन्मदिन देश पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है। इस खास दिवस को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा के लिये यादगार कर दिया। पीएम ने अंडमान और निकोबार के 21 बड़े अज्ञात द्वीपों के नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा है। बता दें, उन द्वीपों का कोई नाम नहीं था। किन्तु ऐतिहासिक महत्व के इन द्वीप समूहों को आखिरकार आज नाम मिल ही गया। नाम भी किनका, देश का सिर गर्व से ऊंचा करने वाले देश पर कुर्बान अमर शहीदों का मिला है। इन अमर शहीदों में एक नाम झारखंड (अखंड बिहार) के परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का का भी है।
पीएम मोदी ने सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर बनने वाले नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक के मॉडल का भी अनावरण किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि इन 21 द्वीपों को अब परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाना जाएगा। आज के इस दिन को आजादी के अमृत काल के एक महतपूर्ण अध्याय के रूप में आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी आने वाली पीढिय़ों के लिए ये द्वीप एक चिरंतर प्रेरणा का स्थल बनेंगे।
पाकिस्तान के साथ युद्ध में दिखा था अल्बर्ट एक्का का पराक्रम
देश के लिए शहीद होने वाले अमर शहीदों में झारखंड के अल्बर्ट एक्का का नाम सम्मान से लिया जाता है। उनकी शहादत अमूल्य थी, इसीलिए उनके पराक्रम को याद करते हुए परमवीर चक्र उन्हें प्रदान किया गया था। साल 1971 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई को कोई शायद ही भूल सकता है, यह युद्ध भले ही भारत- पकिस्तान के बीच था, लेकिन अगर यह कहा जाये कि इस युद्ध ने बांग्लादेश को एक नई ज़िन्दगी दी तो गलत नहीं होगा। यह युद्ध अगरतला को भारत का हिस्सा बनाने का श्रेय दिलाता है। इस युद्ध में तमाम सैनिक थे। इन्हीं में से एक थे लांस नायक अल्बर्ट एक्का जिनके बलिदान ने बांग्लादेश को आजादी दिलवाई थी, साथ ही अगरतला को पाकिस्तान का हिस्सा बनने से बचाया था।
युद्ध के दौरान एक भी पाकिस्तानी सैनिक को अगरतला में कदम नहीं रखने दिया
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान एक्का और उनके कुछ साथियों को यह आदेश मिला कि पाकिस्तान के गंगासागर में अपना कब्ज़ा जमाना है। गंगासागर से मात्र 6.5 किलोमीटर की दूरी पर बसे अगरतला आज त्रिपुरा की राजधानी है। बांग्लादेश की आज़ादी के लिए यह ज़रूरी था कि भारतीय सेना गंगासागर में पाकिस्तान पर अपनी पकड़ बना सके।
3 दिसंबर की सुबह गंगासागर रेलवे स्टेशन पर लड़ाई शुरू हुई. तय रणनीति के मुताबिक भारतीय सेना आगे बढ़ रही थी। रेलवे स्टेशन पर माइंस बिछी हुई थी और पाकिस्तानी फ़ौज ऑटोमैटिक मशीन गन का इस्तेमाल कर रही थी। भारतीय सेना आगे बढ़ी और पाकिस्तानी बनकर पर धावा बोल दिया। वहां पहुंचते ही पाकिस्तानी सेना की मशीन गनें बंद हो गई। 2 पाकिस्तानी सैनिक मौत के घाट उतर गये थे। हालांकि इसमें एक भारतीय जवान घायल भी हुआ था।
एक्का के बलिदान ने भारत को बना दिया था मजबूत
पाकिस्तान में सही रणनीति के साथ एक्का और उनके साथियों ने अदम्य साहस दिखाया। इस वजह से पाकिस्तान का एक भी सैनिक अगरतला नहीं पहुंच पाया। उनकी इसी बहादुरी और सही रणनीति के कारण भारत को युद्ध में बढ़त मिली और उन्होंने बांग्लादेश को आज़ादी दिलवाई। एक्का को भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से नवाज़ा गय। इसके साथ ही एक पोस्टल स्टैम्प भी उनके सम्मान में जारी की गयी।
आज इन 21 परमवीरों को पीएम मोदी ने दिया परम सम्मान
- मेजर सोमनाथ शर्मा
- सूबेदार और मानद कप्तान (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह
- एमएम सेकेंड लेफ्टिनेंट राम राघोबा राणे
- नायक जदुनाथ सिंह
- कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह
- कैप्टन जीएस सलारिया,
- लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा
- सूबेदार जोगिंदर सिंह
- मेजर शैतान सिंह
- अब्दुल हमीद
- लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर
- लांस नायक अल्बर्ट एक्का
- मेजर होशियार सिंह
- सेंकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल
- फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों
- मेजर रामास्वामी परमेश्वरन
- नायब सूबेदार बाना सिंह
- कैप्टन विक्रम बत्रा
- लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे
- सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार
- सूबेदार मेजर सेवानिवृत्त (माननीय कप्तान) ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव
न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
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