न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना समाप्त हो चुकी है। एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू प्रचंड जीत हासिल कर देश की 15वीं और पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बन चुकी हैं। द्रौपदी मुर्मू के सामने खड़े विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा, जिनकी हार वैसे भी पहले से तय थी, अपने ही गुट के आत्मघाती गोलों से बुरी तरह पस्त होकर हांफने लगे । एक तो विपक्ष के कई दल पहले से ही द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुके थे। इसके बावजूद बाकी विपक्ष भी बिखर गया। जब वोट की बारी आयी तो उसने कॉस वोटिंग कर के अपनी एकता की पोल खोल कर रख दी। क्रॉस वोटिंग का सबसे बड़ा गढ़ (दल) कांग्रेस रही। खुद को विपक्ष की धुरी मानने वाली टीएमसी भी जमकर टूटी और क्रॉस वोटिंग कर अपने ही दिये गये प्रत्याशी को शर्मिंदा कर दिया। क्रॉस वोटिंग किस कदर हुई इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दौपद्री मुर्मू के पक्ष में 17 सांसदों और विपक्ष के 104 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की।
अगर इस कदर क्रॉस वोटिंग नहीं हुई होती तब भी द्रौपदी मुर्मू जीततीं, लेकिन तब उनकी यह जीत इतनी बड़ी नहीं होती। इसे आंकड़ों में ही देख लें। द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में 6,67,803 वोट पडे़। जबकि विपक्ष उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 3,80,177 वोट मिले। अगर पक्ष और विपक्ष अपनी स्वाभाविक ताकत के साथ वोट करते तो द्रौपदी मुर्मू को 6,66,028 और यशवंत सिन्हा को 4,13,728 मत मिलते। लेकिन क्रॉस वोटिंग के कारण यह अंतर और बड़ा हो गया। राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना चार चरणों में हुई। यशवंत सिन्हा इस बात से संतोष कर सकते हैं कि चौथे चरण में वह इस चरण में द्रौपदी मुर्मू पर बढ़त बनाने में सफल रहे। चौथे चरण में द्रौपदी मुर्मू को मिले 99,026 मतों के मुकाबले यशवंत सिन्हा 1,19,115 मत लाने में सफल रहे।अगर इसे किसी मैच की तरह देखा जाये तो द्रौपदी मुर्मू 3-1 से विजयी हुई हैं।
पीएम मोदी की रणनीति में उलझा विपक्ष
द्रौपदी मुर्मू की यह जीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रणनीतिक चाल का बेहतरीन नमूना है। द्रौपदी मुर्मू के रूप में मोदी ने जो मुहरा चला था, उसकी काट विपक्ष के पास नहीं थी। यही कारण है कि पहले तो विपक्ष भी उन्हें समर्थन देने को तैयार हो गया। जैसे कि झारखंड में कांग्रेस के साथ सरकार में शामिल झामुमो ने आदिवासी महिला उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया। लेकिन इसके बाद भी विपक्ष के कई नेताओं ने अंदर ही अंदर द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देने का मन बना लिया था। दरअसल, राजनीति चीज ही ऐसी है कि इसमें कई गुणा-भाग होते हैं जो सामान्य गुणा-भाग से बिलकुल अलग होते हैं। पार्टी की विचारधारा और सोच चाहे जो भी हो, हर नेता का अपना क्षेत्रीय प्रभुत्व होता है, उसको वह किसी भी तरह से खतरे में नहीं डाल सकता। फिर राजनीतिक नाराजगियां भी अपना काम करती हैं और गाहे-बगाहे अपना रूप दिखाती हैं। ये सारी चीजें इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में साफ देखीं। उसी का ही नतीजा था कि जनप्रतिनिधियों ने पार्टी लाइन से हटकर द्रौपद्री मुर्मू के पक्ष में वोट डाले।
किस राज्य में कितनी हुई क्रॉस वोटिंग
दौपद्री मुर्मू के पक्ष में 17 सांसदों और विपक्ष के 104 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। इससे सबसे ज्यादा 22 क्रॉस वोटिंग असम में हुई, उसके बाद मध्य प्रदेश के 19 क्रॉस वोटिंग हुई, महाराष्ट्र में 16, झारखंड में 10, गुजरात में 10, छत्तीसगढ़ में 6, बिहार में 6 क्रॉस वोटिंग हुई।
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