न्यूज डेस्क/ समाचार प्लस – झारखंड-बिहार
बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों का महामिलन होने जा रहा है। विपक्षी पार्टियों के इस महामिलन में सबसे बड़ी बात जो सामने आ रही है, वह यह कि इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल होने आयेंगी। ‘क्षणैः रुष्टा क्षणैः तुष्ट’ की नीति पर चलने वाली ममता दीदी का इस बैठक में आना बड़ी खबर है, क्योंकि विपक्षी एकता को लेकर वह अभी तक कोई स्पष्ट रणनीति बना ही नहीं सकी हैं। अभी हाल में ही उन्होंने केजरीवाल से मुलाकात कर अलग ही मोर्चा बनाने की कवायद की थी। शायद इसीलिए कांग्रेस के कुछ नेताओं को ममता बनर्जी के बैठक में शामिल होने पर आपत्ति है। लेकिन फिलहाल यह खबर है कि पटना में होने वाली विपक्ष की महा बैठक में ममता बनर्जी शामिल हो सकती हैं। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने ने यह जानकारी दी है।
ममता बनर्जी और नीतीश कुमार की हो चुकी है मुलाकात
वैसे तो पिछले दिनों नीतीश कुमार जब पश्चिम बंगाल के दौरे पर आये थे तब ममता बनर्जी से उनकी मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात में ममता बनर्जी कह चुकी हैं कि तृणमूल 2024 के लोकसभा चुनाव में उन राज्यों में गैर भाजपा पार्टियों का समर्थन करेगी, जहां वह मजबूत है। लेकिन इससे ज्यादा इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला था।
एनडीए को हराने की रणनीति बनेगी महाबैठक में
नयी संसद के उद्घाटन के विरोध ने विपक्षी दलों को एकजुट होने का बल दिया है, इसलिए सभी पार्टियां जल्द से जल्द मुलाकात कर एक ऐसी रणनीति तैयार कर लेना चाहती हैं जिससे भाजपा नीत एनडीए को 2024 में हराया जा सके। विपक्ष प्रयास कर रहा है कि किसी भी कीमत पर भाजपा वापस सत्ता में न लौटे। लेकिन इस मुलाकात से ये पार्टियां राजनीति को कितना प्रभावित कर पायेंगी इस पर अभी से कुछ नहीं कहा जा सकता। अभी तो बैठक की बात हुई है, बैठक की तारीख आते-आते तक तो गंगा में कितना पानी बह चुका होगा। फिलहाल 12 जून को पटना में होने वाली महाबैठक में कांग्रेस के अलावा बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे समेत कई दिग्गज शामिल हो सकते हैं।
सबसे बड़ा सवाल पीएम का उम्मीदवार
भले ही महाबैठक नीतीश कुमार के प्रयास से हो रहा है, लेकिन महाबैठक की धुरी में तो कांग्रेस ही है। बैठक में लाख एकजुटता की बात कर ली जाये, जब तक प्रधानमंत्री उम्मीदवार पर बात नहीं होगी, विपक्षी एकता के कोई मायने नहीं हैं। फिर, कांग्रेस जब विपक्ष की एकता के केन्द्र में होगी तो इसका साफ मतलब होगा कि प्रधानमंत्री के उम्मीदवार राहुल गांदी ही होंगे (हालांकि उनकी संसद सदस्यता के समाप्त होने का अदालती पटाक्षेप नहीं हुआ है)। फिर भी जब प्रधानमंत्री उम्मीदवार की बात आयेगी तक विपक्ष कितना एकजुट रह पायेगा, यह वक्त बतायेगा। वैसे नीतीश कुमार पहले कह चुके हैं, पहले हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे, बाकी मुद्दों पर बाद में फैसला कर लेंगे। इसका भी विपक्षी दल अपने-अपने हिसाब से मतलब निकालेंगे।
यह भी पढ़ें: MS Dhoni रिजर्व-डे के दिन बोलेंगे अलविदा! अटकलें तेज